हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस ने कहा था-सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को कर लिया ‘हाईजैक’

–कॉलेजियम विवाद पर कानून मंत्री रिजिजू ने शेयर किया पूर्व जस्टिस का वीडियो

इंट्रो

न्यायाधीशों की नियुक्ति से जुड़े कॉलेजियम सिस्टम को लेकर बीते कुछ महीनों से केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में मतभेद चल रहा है। कॉलेजियम विवाद के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस आरएस सोढ़ी के एक बयान को शेयर किया है। इसमें सोढ़ी कह रहे हैं कि उच्चतम न्यायालय ने खुद न्यायाधीशों की नियुक्ति का फैसला कर संविधान का ‘अपहरण’ किया है। रिजिजू ने पूर्व न्यायाधीश की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा- यही सबसे समझदार नजरिया है।

नई दिल्ली। कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने रविवार को उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के विचारों का समर्थन करने की कोशिश की, जिन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय ने खुद न्यायाधीशों की नियुक्ति का फैसला कर संविधान का ‘अपहरण’ किया है। हालिया समय में उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ा है। रीजीजू ने दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आरएस सोढ़ी (सेवानिवृत्त) के एक साक्षात्कार का वीडियो साझा करते हुए कहा कि यह एक न्यायाधीश की आवाज है और अधिकांश लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण ‘विचार’ हैं। जस्टिस सोढ़ी ने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। कानून मंत्री ने यह भी कहा, वास्तव में अधिकांश लोगों के इसी तरह के समझदारीपूर्ण विचार हैं। केवल कुछ लोग हैं, जो संविधान के प्रावधानों और जनादेश की अवहेलना करते हैं और उन्हें लगता है कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं। मंत्री ने ट्वीट किया, भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है। लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से खुद पर शासन करते हैं। चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं। हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा संविधान सर्वोच्च है। साक्षात्कार में जस्टिस सोढ़ी ने यह भी कहा कि शीर्ष अदालत कानून नहीं बना सकती, क्योंकि उसके पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून बनाने का अधिकार संसद का है।

जस्टिस सोढ़ी ने कहा था-पहली बार संविधान का अपहरण

साक्षात्कार में जस्टिस सोढ़ी ने कहा, क्या आप संविधान में संशोधन कर सकते हैं? केवल संसद ही संविधान में संशोधन करेगी। लेकिन यहां मुझे लगता है कि उच्चतम न्यायालय ने पहली बार संविधान का अपहरण कर लिया। अपहरण करने के बाद उन्होंने (उच्चतम न्यायालय) कहा कि हम (न्यायाधीशों की) नियुक्ति खुद करेंगे और इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं होगी। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव बढ़ने के बीच रीजीजू ने न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली को भारतीय संविधान के प्रतिकूल बताया है।

पूर्व जज ने किया कॉलेजियम का विरोध

कॉलेजियम को लेकर पूर्व जस्टिस सोढ़ी ने कहा कि हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के अंतर्गत नहीं आता है। ये हर राज्य की स्वतंत्र संस्था है। हाईकोर्ट के जज को सुप्रीम कोर्ट के जज अपॉइंट करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के जज खुद को अपॉइंट कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का जिसे जहां भेजने का मन करता है, वहां ट्रांसफर कर देता है। ऐसे में हाईकोर्ट के जज सुप्रीम कोर्ट की तरफ देखना शुरू कर देते हैं। यह हमारे संविधान ने कभी कहा ही नहीं गया।

न्यायपालिका स्वतंत्र, लेकिन संविधान सर्वोच्च

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने पूर्व जस्टिस सोढ़ी के बयान को शेयर करते हुए कहा, देश के ज्यादा लोगों की यही समझदार राय है, उन्हें भी लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में जनता का प्रतिनिधि होना चाहिए। भारतीय लोकतंत्र की असली खूबसूरती इसकी सफलता है। जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से स्वयं शासन करती है। चुने हुए प्रतिनिधि लोगों के हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं और कानून बनाते हैं. हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है लेकिन हमारा संविधान सर्वोच्च है।

उपराष्ट्रपति ने भी उठाया था सवाल

इससे पहले, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम और एक संबंधित संविधान संशोधन को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत पर सवाल उठाया है। उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्तियों को मंजूरी देने में देरी पर भी शीर्ष अदालत ने सरकार से सवाल किया है।

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