डब्ल्यूएचओ ने तकनीक दूसरे देशों से साझा करने के लिए भारत से मांगी मदद

नई दिल्ली। जीनोम विज्ञान में भारत सीखने की प्रक्रिया में था, लेकिन बीते दो साल में करीब तीन लाख मरीजों के सैंपल सीक्वेंस करने के बाद भारत अब दुनिया के बाकी देशों को इसके तरीके सिखाने लगा है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दूसरे देशों के साथ इन तकनीकों को साझा करने के लिए भारत से मदद मांगी, जिसके बाद भारत सरकार की ओर से वैज्ञानिकों का एक दल इस काम में जुटा है। हाल ही में भारतीय वैज्ञानिकों का एक दल मालदीव पहुंचा और वहां के डॉक्टर और वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित किया। नई दिल्ली स्थित जीनोमिक्स और इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया ने कहा, हमें खुशी है कि भारत अब दूसरे देशों को जीनोम साइंस में प्रशिक्षित कर रहा है। इसका एक सफल परिणाम मालदीव में देखने को मिला, जब उस देश ने अपने यहां कोरोना संक्रमण को लेकर पहला जीनोम सीक्वेंस किया। तीन से चार दिन तक चले इस प्रशिक्षण में उनकी टीम ने मालदीव के वैज्ञानिक और डॉक्टरों का मार्गदर्शन किया।

सदस्य देशों के साथ मिलकर कार्य कर रहा डब्ल्यूएचओ

कोरोना महामारी को नियंत्रण में लाने के लिए डब्ल्यूएचओ बीते लंबे समय से सभी सदस्य देशों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। भारत की तरह दूसरे देशों को भी वायरस की पहचान करने में सक्षम बनाने के लिए डब्ल्यूएचओ ने यह पहल शुरू की है।

नवंबर 2020 में देश ने की शुरुआत

किसी भी जीव के डीएनए में मौजूद समस्त जीनों का अनुक्रम संजीन या जीनोम कहलाता है। कोरोना महामारी में नवंबर 2020 में सरकार ने पहली बार जीनोम विज्ञान का सहारा लेते हुए कोरोना वायरस के विभिन्न स्वरूपों की पहचान करना शुरू किया था। इसके लिए बाकायदा एक नेटवर्क स्थापित किया गया, जिसमें अब देश की 53 से ज्यादा प्रयोगशालाएं शामिल हैं।

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