—आप ने लगाया आरोप, पार्टी को निशाना बनाने अधिकारियों का इस्तेमाल
—भाजपा ने कहा- आप नेताओं की संपत्ति कुर्क हो, बैंक खातों पर लगे रोक
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इंट्रो
आम आदमी पार्टी को कथित तौर पर सरकारी विज्ञापनों की आड़ में उसके राजनीतिक विज्ञापनों को प्रकाशित करवाने के लिए 163.62 करोड़ रुपए का वसूली नोटिस जारी किया गया है। यह राशि 10 दिन में चुकाने होंगे, नहीं तो संपत्तियां कुर्क होंगी। इस नोटिस के बाद सियासी घमासान शुरू हो गया है। आप ने भाजपा पर आरोप लगाया कि अधिकारियों का गलत इस्तेमाल कर रही है, वहीं भाजपा ने कहा कि आप के
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नई दिल्ली। दिल्ली के सूचना एवं प्रचार निदेशालय ने आम आदमी पार्टी से 163.62 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस जारी किया। यह पैसा आम आदमी पार्टी को 10 दिन के अंदर जमा करना होगा। इस राशि में 99.31 करोड़ रुपए मूलधन और 64.31 करोड़ रुपए पेनाल्टी इंटरेस्ट के रूप में शामिल हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह शहर की आम आदमी पार्टी सरकार और उसके मंत्रियों को निशाना बनाने के लिए दिल्ली के अधिकारियों पर ‘असंवैधानिक’ नियंत्रण बनाए रखना चाहती है। वहीं, ‘आप’ के राष्ट्रीय सचिव पंकज कुमार गुप्ता ने सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) को पत्र लिखकर कहा है कि 163.62 करोड़ रुपये की मांग ‘गलत’ और ‘मनमानी’ है। उन्होंने उन विज्ञापनों की प्रतियां उपलब्ध कराने की मांग की है, जिनका खर्च वसूला जाना है। सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापनों पर कथित तौर पर खर्च किए गए 163.62 करोड़ रुपये की वसूली को लेकर ‘आप’ को नोटिस जारी होने के बाद उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि दिल्ली के अखबारों में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के विज्ञापन भी छपते हैं। उन्होंने कहा, क्या भाजपा उनसे भी विज्ञापन का खर्च वसूलेगी? मैं भाजपा से कहना चाहूंगा कि वह मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के मंत्रियों को निशाना बनाने के लिए दिल्ली के अधिकारियों का गलत इस्तेमाल बंद करे। सिसोदिया ने बताया कि ‘आप’ ने यह देखने के लिए डीआईपी की सचिव से संबंधित विज्ञापनों की सूची मांगी है कि उनमें क्या अवैध है। इससे पहले, सिसोदिया ने भाजपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था, दिल्ली के अधिकारियों पर असंवैधानिक नियंत्रण का नाजायज इस्तेमाल देखिए। भाजपा ने दिल्ली सरकार के सूचना एवं प्रचार निदेशालय की सचिव एलिस वाज (आईएएस) से नोटिस दिलवाया है कि 2017 से दिल्ली के बाहर के राज्यों में दिए गए विज्ञापनों का खर्च मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी से वसूला जाएगा।
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सिसोदिया बोले-पूरी दिल्ली में देशभर के सीएम की होर्डिंग
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के अखबारों में भाजपा के तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों के विज्ञापन छपते हैं। पूरी दिल्ली में भाजपा के मुख्यमंत्रियों के फोटो वाले सरकारी होर्डिंग लगे हैं। क्या इनका खर्च भाजपा के मुख्यमंत्रियों से वसूला जाएगा? सिसोदिया ने कहा, क्या इसीलिए भाजपा दिल्ली के अधिकारियों पर असंवैधानिक नियंत्रण बनाए रखना चाहती है?
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एलजी ने दिया था निर्देश
इस घटनाक्रम से करीब एक महीने पहले दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्य सचिव को सरकारी विज्ञापनों की आड़ में राजनीतिक विज्ञापन प्रकाशित करने के मामले में ‘आप’ से 97 करोड़ रुपए वसूलने का निर्देश दिया था। सूत्रों ने बताया कि सूचना एवं प्रचार निदेशालय (डीआईपी) की ओर से जारी वसूली नोटिस में उक्त राशि पर लगाया गया ब्याज भी शामिल किया गया है।
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10 दिन का समय
नोटिस के तहत ‘आप’ के लिए 10 दिनों के भीतर पूरी राशि का भुगतान करना अनिवार्य है। एक सूत्र ने कहा, दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर से पूर्व में जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अगर ‘आप’ संयोजक भुगतान में नाकाम रहते हैं, तो पार्टी की संपत्तियों की कुर्की सहित सभी कानूनी कार्रवाई समयबद्ध तरीके से की जाएगी।
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भाजपा बोली-आप ने पैसे बर्बाद किए
भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा, आप ने अपनी पार्टी और अपने नेताओं का सरकारी कोष से प्रचार किया। अब जब उन्हें इसकी प्रतिपूर्ति करने के लिए कहा गया है, तो वे परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाया, आप ने करदाताओं के पैसे बर्बाद किए। तिवारी ने कहा, भाजपा मांग करती है कि आप के बैंक खातों के लेनदेन पर रोक लगा दी जाए। आप के उन नेताओं के बैंक खातों से पैसे वसूल किए जाएं, जिन्होंने अपने प्रचार के लिए कोष का इस्तेमाल किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जो धनराशि गरीबों के विकास के लिए इस्तेमाल होनी चाहिए थी, उसका इस्तेमाल आप नेताओं के विज्ञापन के लिए किया गया।
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हाईकोर्ट कमेटी ने दोषी पाया था
दिल्ली हाईकोर्ट ने विज्ञापनों पर खर्च की गई रकम की जांच के लिए अगस्त 2016 में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने 16 सितंबर 2016 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें आप को दोषी पाया गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सितंबर 2016 से अब तक दिल्ली सरकार के सभी विज्ञापनों की एक्सपर्ट कमेटी ने जांच की, जिसके बाद वसूली का नोटिस जारी हुआ।
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