लैपटॉप, आईफोन हो या एंड्रॉयड, सभी के लिए एक चार्जर

केंद्र सरकार का बड़ा फैसला : टाइप-सी पोर्ट को बनाया स्टैंडर्ड

ग्राहकों को अब अलग-अलग चार्जर खरीदने की नहीं पड़ेगी जरूरत

नई दिल्ली। अब अलग-अलग गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जर की जरूरत खत्म हो गई है। सोमवार को भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए इसकी जरूरत ही खत्म कर दी है। सरकार ने टाइप-सी चार्जिंग को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज के लिए स्टैंडर्ड बना दिया है। इसका मतलब अब कोई भी मोबाइल हो, लैपटॉप और नोटबुक सभी तरह के गैजेट्स के लिए टाइप-सी ही पोर्ट स्टैंडर्ड रहेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स ने अपने एक बयान में बताया है कि ई-कचरे को कम करने के उद्देश्य और इस दिशा में बेहतर काम करने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। इससे ई-कचरे को कम कनरे में काफी मदद मिलेगी। बताया गया है कि पहले कस्टमर्स को अलग-अलग इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के लिए अलग-अलग चार्जर रखना होता था। इसमें पैसे भी खर्च होते थे और ई-वेस्ट भी बढ़ता था। इतना ही नहीं इन चार्जर के रख-रखाव में भी काफी परेशानियां होती थी। इसी को देखते हुए सरकार ने फैसला लिया है।

सभी ने दी थी सहमति

उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह की तरफ से बताया गया है कि पिछले साल दिसंबर में ही स्टेक होल्डर्स स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप के लिए चार्जिंग पोर्ट के रूप में यूएसबी टाइप-सी को अपनाने की सहमति दी थी। बीआईएस ने भी टाइप सी चार्जर के लिए स्टैंडर्ड को नोटिफाइड किया है।

दिसंबर, 2022 में ही आया था ऑर्डर

बता दें कि पिछले साल ही टाइप-सी पोर्ट्स को स्टैंडर्ड बनाने का ऑर्डर पास कर दिया गया था। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने बताया कि यूरोपियन यूनियन के 2024 के टाइमलाइन को ही ध्यान में रखते हुए कॉमन चार्जिंग पोर्ट का रोलआउट अलग-अलग फेज में होगा। जिससे इंडस्ट्री और कस्मटर्स के पास पर्याप्त समय रहे।

अभी तक क्या हुआ?

बता दें कि अभी फोन, टैबलेट और लैपटॉप के लिए अलग-अलग चार्जिंग पोर्ट का उपयोग किया जाता है। आईफोन और कई एंड्रॉयड फोन के पोर्ट भी काफी अलग होते हैं। इस मानक के बाद सभी कंपनियों को अपने डिवाइस के साथ टाइप सी चार्जिंग पोर्ट देना होगा।
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