-देश में आ रहीं टॉप फॉरेन यूनिवर्सिटीज, मिलेगा इनके कैंपस में पढ़ने का मौका
-बेहद खास है मोदी सरकार का फैसला
नई दिल्ली। भारत ने येल, ऑक्सफोर्ड और स्टैनफोर्ड जैसी प्रमुख विदेशी यूनिवर्सिटीज (विश्वविद्यालयों) को देश में कैंपस स्थापित करने के वास्ते एक बड़ा फैसला किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार भारतीय छात्रों को सस्ती कीमत पर विदेशी योग्यता प्राप्त करने के लिए ये कदम उठा रही है।
नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी)2020 की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने भारत में उच्च शिक्षा के अंतर्राष्ट्रीयकरण की तैयारियां तेज कर दी हैं। यूजीसी ने जल्द ही भारत में टॉप फॉरेन यूनिवर्सिटी के कैंपस खोलने की तैयारी की है, इसके लिए यूजीसी ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है। इसमें फॉरेन यूनिवर्सिटीज कैंपस को किन मानकों पर खोला जाएगा, कितनी फीस होगी, कैसे एडमिशन मिलेगा आदि बिंदु दिए गए हैं। यहां हम यूजीसी के इन नियमों को डिटेल में दे रहे हैं।
यूजीसी की मंजूरी होगी जरूरी
केवल ओवर ऑल या सब्जेक्ट वाइज टॉप 500 रैंकिंग वाली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ही भारत में अपना कैंपस खोलने के लिए आवेदन कर सकती है।
एडमिशन और फीस स्ट्रक्चर
घरेलू या विदेशी छात्रों के एडमिशन के लिए फॉरेन हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस (एफएचईआई)अपने एडमिशन प्रोसेस और क्राइटेरिया खुद तय कर सकेंगे। वो फी स्ट्रक्चर भी तय करेंगे जो पारदर्शी और उचित होना चाहिए। एडमिशन शुरू करने के कम से कम 60 दिन पहले ये संस्थान अपने प्रॉस्पेक्टस वेबसाइट पर अपलोड करेंगे, जिसमें उनके फीस स्ट्रक्चर, रीफंड पॉलिसी, नंबर ऑफ सीट्स, योग्यता मानदंड आदि समेत पूरी दाखिला प्रक्रिया दी जाएगी।
ऑफलाइन मोड में होगी पढ़ाई
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार के अनुसार देश में कैंपस खोलने वाले विदेशी विश्वविद्यालय केवल ऑफ़लाइन मोड में फुल टाइम प्रोग्राम पेश कर सकते हैं। इन संस्थानों की प्रारंभिक स्वीकृति 10 वर्षों के लिए होगी और कुछ शर्तों को पूरा करने के अधीन नौवें वर्ष में रीन्यूअल किया जाएगा।
ऐसे चुनी जाएंगी फैकल्टी
विदेशी संस्थान को अपने भर्ती मानदंडों के अनुसार भारत और विदेश से फैकल्टी और कर्मचारियों की भर्ती करने की स्वायत्तता होगी। उन्हें ये सुनिश्चित करना होगा कि इंडियन कैंपस में पढ़ाने के लिए नियुक्त विदेशी फैकल्टी उचित अवधि के लिए भारत में परिसर में रहे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन (एनआईईपीए) के एक सर्वे के अनुसार आठ विदेशी विश्वविद्यालयों ने भारत में अपने अंतरराष्ट्रीय परिसर स्थापित करने में रुचि दिखाई है। इनमें से पांच अमेरिकी विश्वविद्यालय हैं और एक-एक यूके, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा से है। आरक्षण की जगह आर्थिक मदद
इन संस्थानों को एक इवैल्यूएशन प्रोसेस के आधार पर पूर्ण या आंशिक आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्ति प्रदान की जा सकती है। ये इंडोवमेंट फंड, एलुमनी डोनेशंस, ट्यूशन रीवेन्यू आदि सोर्स से होंगे।
ऐसा होगा सिलेबस
विदेशी यूनिवर्सिटीज को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके भारतीय कैंपस में प्रदान की जाने वाली एजुकेशन की क्वॉलिटी उनके मेन कैंपस के समान ही गुणवत्तापूर्ण हो।
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