हल्द्वानी में रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने पर रोक… कोर्ट ने कहा-50000 लोगों को रातों रात नहीं हटाया जा सकता

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के हल्द्वानी में रेलवे के दावे वाली 29 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर बृहस्पतिवार को रोक लगा दी और सर्दी के मौसम में अपना आशियाना ढहाये जाने की आशंका में परेशान हो रहे लोगों को बड़ी राहत प्रदान की। यायालय ने इसे ‘मानवीय मुद्दा’ बताते हुए कहा कि 50,000 लोगों को रातोंरात नहीं हटाया जा सकता। विवादित भूमि पर बसे लोग अतिक्रमण हटाने के आदेश के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका दावा है कि उनके पास भूमि का मालिकाना हक है। इस बीच न्यायमूर्ति एस. के. कौल और न्यायमूर्ति ए. एस. ओका की पीठ ने कहा कि (इस विवाद का) एक व्यावहारिक समाधान खोजने की जरूरत है। रेलवे के मुताबिक, उसकी भूमि पर 4,365 परिवारों ने अतिक्रमण किया है। चार हजार से अधिक परिवारों से संबंधित लगभग 50,000 व्यक्ति विवादित भूमि पर निवास करते हैं, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं। शीर्ष अदालत ने साथ ही रेलवे तथा उत्तराखंड सरकार से हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने के उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिकाओं पर जवाब भी मांगा। पीठ ने कहा, नोटिस जारी किया जाता है। इस बीच, उस आदेश पर रोक रहेगी जिसे चुनौती दी गई है।

पुनर्वास की योजना जरूरी

पीठ ने कहा, हमारा मानना है कि उन लोगों को अलग करने के लिए एक व्यावहारिक व्यवस्था आवश्यक है, जिनके पास भूमि पर कोई अधिकार न हो, साथ ही रेलवे की जरूरत को स्वीकार करते हुए पुनर्वास की योजना भी जरूरी है, जो पहले से ही मौजूद हो सकती है। न्यायालय ने इसके साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए सात फरवरी की तारीख मुकर्रर की। शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को बेदखल करने के लिए अर्द्धसैनिक बलों को लगाए जाने का आदेश देना उचित नहीं कहा जा सकता।

हाईकोर्ट ने ध्वस्त करने का दिया था आदेश

हाईकोर्ट ने गत साल 20 दिसंबर को हल्द्वानी के बनभूलपुरा में कथित रूप से अतिक्रमित रेलवे भूमि पर निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। उसने निर्देश दिया था कि अतिक्रमण करने वालों को एक सप्ताह का नोटिस दिया जाए, जिसके बाद उन्हें वहां से बेदखल किया जाए। अदालत ने अपने आदेश में कहा था, रेलवे अधिकारी अतिक्रमण खाली करने के लिए एक सप्ताह का नोटिस देने के बाद जिला प्रशासन की मदद से और जरूरत पड़ने पर अर्द्धसैनिक बलों के सहयोग से अतिक्रमणकारियों को उक्त अवधि के भीतर जमीन खाली करने को कहें।

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