—-जैन समाज के विरोध के बीच पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य को दिए निर्देश
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इंट्रो
सम्मेद शिखर के मुद्दे पर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके साथ ही इस मसले पर एक कमेटी भी बनाई गई है। इससे पहले, सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले से जैन समाज काफी नाराज चल रहा था।
नई दिल्ली। केंद्र ने झारखंड सरकार से इस मुद्दे पर जरूरी कदम उठाने को भी कहा है। केंद्र ने कमेटी बनाते हुए कहा है कि राज्य सरकार समिति में जैन समुदाय से 2 सदस्यों को शामिल करे। वहीं, एक सदस्य स्थानीय जनजातीय समुदाय से शामिल किया जाए। केंद्र ने राज्य को 2019 की अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों पर रोक लगाने के आदेश भी दिए हैं। यह फैसला केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात के बाद आया है। केंद्रीय मंत्री ने मीटिंग में जैन समाज के लोगों को भरोसा दिया था कि मोदी सरकार सम्मेद शिखर की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। दरअसल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पिछले कई दिनों में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में होने वाले पर्यटन के मुद्दे पर जैन समाज के कई संगठनों से आवदेन मिल रहे थे। इन आवेदनों में कहा जा रहा था कि सम्मेद शिखर में पर्यटन गतिविधियों के कारण जैन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बता दें कि देश की आबादी में 0.4 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाला जैन समाज झारखंड सरकार के उस फैसले से नाराज था, जिसमें तीर्थस्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने की बात कही गई थी। नाराज जैन समाज के लोग हफ्तों से सड़कों अनशन कर रहे थे।
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देशभर में विरोध प्रदर्शन
सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने को लेकर सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि दिल्ली, जयपुर और भोपाल तक प्रदर्शन हो रहा था इस बीच जयपुर में अनशन पर बैठे जैन संत का निधन भी हो गया था। 72 साल के सुज्ञेयसागर महाराज अनशन पर थे। पुलिस ने बताया कि महाराज ने 25 दिसंबर से कुछ खाया नहीं था, जिसके बाद उनका निधन हो गया।
अफसर बोले- पर्यटन से होगा विकास
झारखंड के पर्यटन सचिव मनोज कुमार ने बताया कि राज्य सरकार ने 2019 की अधिसूचना में श्री सम्मेद शिखर जी सहित 200 स्थानों को प्रशासनिक सुविधा के लिए पर्यटन स्थल घोषित किया है। पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित करने से इसका विकास होगा। इन स्थानों को लंबे समय से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन स्थलों के रूप में पहचाना जाता है।
सम्मेद शिखर अहम क्यों?
00 जैन तीर्थ सम्मेद शिखर झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर है।
00 इस पहाड़ी का नाम जैनों के 23वें तीर्थांकर पारसनाथ के नाम पर पड़ा है।
00 जैन धर्म के 20 तीर्थांकरों ने यहीं निर्वाण लिया था, इसलिए सबसे पवित्र स्थल है।
00 इस पहाड़ी पर टोक बने हुए हैं, जहां तीर्थांकरों के चरण मौजूद हैं।
00 माना जाता है कि यहां कुछ मंदिर दो हजार साल से भी ज्यादा पुराने हैं
00 जैन धर्म को मानने वाले लोग हर साल सम्मेद शिखर की यात्रा करते हैं।
00 लगभग 27 किलोमीटर लंबी ये यात्रा पैदल ही पूरी करनी होती है
00 मान्यता है कि जीवन में कम से कम एक बार यहां की यात्रा करनी चाहिए
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इसलिए हो रहा विवाद?
- अगस्त 2019 में केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने इको सेंसेटिव जोन घोषित किया था
- झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया
- अब इस तीर्थस्थल को पर्यटन के हिसाब से तब्दील किया जाना था
- इसी बात पर जैन समाज को आपत्ति थी। पर्यटकों के आने से ये पवित्र नहीं रहेगा।
- जैन समाज को डर था कि इसे पर्यटन स्थल बनाने से यहां असामाजिक तत्व भी आएंगे
- यहां शराब और मांस का सेवन भी किया जा सकता है
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झारखंड सीएम सोरेन ने भी केंद्र से किया था आग्रह
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जैन समुदाय के सबसे पवित्र स्थलों में से एक पारसनाथ पहाड़ी में पर्यटन को बढ़ावा देने के किसी भी कदम का समुदाय के सदस्यों द्वारा देशभर में विरोध करने के बीच गुरुवार को केंद्र से इसकी एक अधिसूचना पर ‘उचित निर्णय’ लेने का आग्रह किया। सोरेन ने केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव को अगस्त 2019 में केंद्र द्वारा जारी उस अधिसूचना पर एक पत्र लिखा है जिसमें पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में पर्यटन और ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने का आह्वान किया गया था, लेकिन उन्होंने फरवरी 2019 में राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा जारी एक अन्य अधिसूचना पर चुप्पी साधे रखी जिसमें पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल घोषित किया गया था। पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ियों का एक हिस्सा है। सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार ने जैन समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र की अधिसूचना के प्रावधानों पर अब तक कदम नहीं उठाया है।
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