- ई-टिकटिंग और आपातकालीन चिकित्सा इंफरमेशन सहित कई सुविधाएं
- रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई उपलब्ध करा रही कंपनी की पहल
नई दिल्ली। रेल यात्रियों को जल्द ही सुपर एप मिलेगा। एप से यात्रियों का सूचनाओं के साथ मनोरंजन तो होगा ही, साथ ही ई-टिकटिंग और आपातकालीन चिकित्सा सेवा की जानकारी भी मिलेगी। इसके जरिए यात्री अपनी शिकायत भी दर्ज करा सकेंगे। यह पहल रेलवे स्टेशनों पर वाईफाई की सुविधा उपलब्ध करा रही रेलटेल कंपनी ने की है। रेल यात्रियों के लिए यह एकीकृत एप होगा। इससे यात्रियों को पता चल सकेगा कि किस स्टेशन पर, किस समय कुली उपलब्ध हैं। रेलटेल के प्रबंध निदेशक संजय कुमार के अनुसार, सुपर एप में रेलवे स्टेशनों से उपयोगकर्ताओं को जोड़ा जाएगा। इससे 6108 रेलवे स्टेशनों पर स्थापित पब्लिक वाई-फाई से रेल यात्रियों के लिए डिजिटल अनुभव बदलेगा।
रेलटेल नेटवर्क पर ले सकेंगे होम ब्रॉडबैंड
आपको बता दें, भारतीय रेलवे ने कई सुविधाएं शुरू की हैं। देश के 6105 रेलवे स्टेशनों पर अब ब्रॉडबैंड रेलवायर ग्राहक रेलटेल के हाई स्पीड वाईफाई नेटवर्क पर अपने होम ब्रॉडबैंड प्लान का मजा ले सकेंगे। इसके लिए ग्राहकों को अब रेलवे स्टेशनों पर प्रीपेड वाई-फाई प्लान खरीदने की आवश्यकता नहीं होगी। वे रेलटेल के वाई-फाई नेटवर्क पर अपने रेलवायर एफटीटीएच (फाइबर टू द होम) सब्सक्रिप्शन का उपयोग कर सकते हैं। रेलवे ने इसकी जानकारी दी। रेलवे ने कहा कि स्टेशनों के वाई-फाई नेटवर्क का उपयोग करके अब 6105 रेलवे स्टेशनों में से किसी पर भी ओटीटी सामग्री का आनंद लिया जा सकता है। उसी समय परिवार के अन्य सदस्य होम ब्रॉडबैंड पर भी ओटीटी का आनंद ले सकते हैं।
चीन, जर्मनी की तर्ज पर ट्रेन
रेलवे दिसंबर 2023 तक अपने हेरिटेज मार्ग पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को शुरू करेगा। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, ट्रेन चीन और जर्मनी की तर्ज पर होंगी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर नॉर्दर्न रेलवे वर्कशॉप में हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का प्रोटोटाइप तैयार किया जा रहा है। इसका परीक्षण हरियाणा के सोनीपत-जींद खंड पर किया जाएगा। वैष्णव ने कहा, हम दिसंबर 2023 से हेरिटेज मार्ग पर हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू करेंगे। इसका मतलब यह होगा कि ये हेरिटेज मार्ग पूरी तरह से ग्रीन हो जाएंगे। बता दें, जर्मनी की कोराडिया आइलिंट हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाली दुनिया की पहली ट्रेन है। यह शून्य उत्सर्जन ट्रेन कम स्तर का शोर पैदा करती है। इसमें केवल भाप और संघनित पानी की निकासी होती है। यह ट्रेन एक बार में 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक हजार किलोमीटर दौड़ सकती है। इस ट्रेन का परीक्षण 2018 से जर्मनी में किया गया था।
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