भ्रष्टाचार पर प्रत्यक्ष सबूत न मिले तो भी होगी सजा

भ्रष्ट नौकरशाहों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा झटका

नई दिल्ली। भ्रष्टाचार करने वाले नौकरशाहों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट के अनुसार अब अगर किसी मामले में प्रत्यक्ष साक्ष्यों की कमी है तो ऐसे में भ्रष्ट नौकरशाहों को बख्शा नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर भी भ्रष्टाचार का दोषी ठहराया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में अवैध लाभ हासिल करने के आरोप में ट्रायल के दौरान अगर किसी तरह के कोई मौखिक या दस्तावेजी सबूत नहीं मिले हैं तो उस केस में परिस्थितिजन्य सबूतों को ही आधार माना जाएगा और आरोपी को दोषी ठहराया जा सकता है।

न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि शिकायतकर्ताओं के साथ-साथ अभियोजन पक्ष को भी ईमानदार कोशिश करनी चाहिए, ताकि भ्रष्ट लोक सेवकों को दोषी ठहराकर उन्हें सजा दी जा सके। शासन-प्रशासन को साफ-सुथरा एवं भ्रष्टाचार मुक्त बनाया जा सके।

पीठ ने कहा, शिकायतकर्ता के सबूत (प्रत्यक्ष या प्राथमिक) के अभाव में, अपराध के संबंध में आनुमानिक निष्कर्ष निकाले जाने की अनुमति है। इस पीठ में न्यायमूर्ति बी आर गवाई, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना, न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना भी शामिल थे. शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर मृत्यु या किसी अन्य कारण से शिकायतकर्ता का प्रत्यक्ष सबूत नहीं उपलब्ध है, तो भी लोक सेवक को प्रासंगिक प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया जा सकता है।

पीठ ने कहा, यदि शिकायतकर्ता बयान से मुकर जाता है या उसकी मृत्यु हो जाती है या फिर सुनवाई के दौरान वह साक्ष्य पेश करने में असमर्थ रहता है, तो किसी अन्य गवाह के मौखिक या दस्तावेजी सबूत को स्वीकार कर अवैध लाभ की मांग संबंधी अपराध को साबित किया जा सकता है या अभियोजन पक्ष परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर मामला सिद्ध कर सकता है।

कमजोर न पड़े मुकदमा

पीठ ने कहा, मुकदमा कमजोर नहीं पड़ना चाहिए और न ही लोक सेवक के बरी होने के परिणाम के रूप में समाप्त होना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इस सवाल पर विचार करते समय यह आदेश दिया कि क्या अवैध लाभ की मांग के संबंध में प्रत्यक्ष या प्राथमिक साक्ष्य के अभाव की सूरत में किसी लोक सेवक के अपराध का आनुमानिक आकलन अन्य सबूतों के आधार पर किया जा सकता है।

ऐसे में माना जाएगा दोषी, होगी सजा

अगर किसी अधिकारी यानी लोक सेवक के रिश्वत मांगने और स्वीकारने के आरोप का सबूत मिल जाए तो रिश्वत की पेशकश करने का सबूत सिद्ध देने की जरूरत नहीं होगी, उसे दोषी माना जाएगा। उसी मुताबिक सजा तय हो जाएगी।

क्या है भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संशोधित विधेयक- 2018 में रिश्वत देने वाले को भी इसके दायरे लाया गया है। इसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और ईमानदार कर्मचारियों को संरक्षण देने का प्रावधान है। लोकसेवकों पर भ्रष्टाचार का मामला चलाने से पहले केंद्र के मामले में लोकपाल से तथा राज्यों के मामले में लोकायुक्तों से अ

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