गहलोत-पायलट को संदेश, जयराम बोले-कड़े फैसले से परहेज नहीं

—राजस्थान में भारत जोड़ो यात्रा से पहले कांग्रेस की बढ़ी चिंता

—सीएम और पूर्व डिप्टी सीएम में बढ़ती जा रही रार

इंदौर। मप्र में भारत जोड़ो यात्रा का पांचवा दिन पूरा हो गया। मप्र में 12 दिन के बाद राजस्थान की ओर यात्रा कूच करेगी। इस बीच, राजस्थान में सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच की रार पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए चिंता का विषय बनने लगी है। भारत जोड़ो यात्रा पर भी इसका असर साफ दिखाई देने लगा है। इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता ने जयराम रमेश ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि पार्टी को कड़े फैसले से परहेज नहीं है।


गहलोत और पायलट के बीच चल रही शब्दों की जंग के बीच जयराम रमेश ने कहा कि पार्टी के लिए राजस्थान में संगठन सर्वोपरि है। इसकी मजबूती के लिए जरूरत पड़ने पर ‘कठोर निर्णय’ लेने से भी पीछे नहीं हटेगी। राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा के इंदौर में पड़ाव के दौरान रमेश ने पत्रकारों से कहा कि हमारे लिए संगठन सर्वोपरि है। राजस्थान के मसले का हम वही हल चुनेंगे, जिससे हमारा संगठन मजबूत होगा। इसके लिए अगर हमें कठोर निर्णय लेने पड़े तो कठोर निर्णय लिए जाएंगे। अगर (गहलोत और पायलट के गुटों के बीच) समझौता कराया जाना है तो समझौता कराया जाएगा। गहलोत-पायलट की रार के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान के मसले के उचित हल पर विचार कर रहा है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रभारी रमेश ने कहा कि लेकिन मैं इस हल की कोई समय-सीमा तय नहीं कर सकता। इस हल की समय-सीमा केवल कांग्रेस नेतृत्व तय करेगा। उन्होंने दोहराया कि कांग्रेस को गहलोत और पायलट, दोनों की जरूरत है। गौरतलब है कि गहलोत ने एक टीवी चैनल को हाल ही में दिए साक्षात्कार में पायलट को ‘गद्दार’ करार देते हुए कहा था कि उन्होंने वर्ष 2020 में कांग्रेस के खिलाफ बगावत की थी और गहलोत नीत सरकार को गिराने की कोशिश की थी, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। रमेश ने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री को इस साक्षात्कार में कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। रमेश ने भरोसा जताया कि राहुल की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा अन्य राज्यों की तरह राजस्थान में भी सफल होगी। अभी मध्य प्रदेश से गुजर रही यह यात्रा चार दिसंबर को राजस्थान में दाखिल होगी, जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं।

चेतावनी का नहीं पड़ रहा कोई असर

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान में सत्ता परिवर्तन करने का पूरा मन बना लिया है। हालांकि, सोनिया गांधी के पार्टी अध्यक्ष रहते ही मुख्यमंत्री का बदलाव किया जाना था, लेकिन 25 सितंबर को गहलोत के करीबियों द्वारा की गई बगावत के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। गहलोत पायलट के लिए किसी भी हाल में कुर्सी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

पहली बार नहीं ऐसा विवाद

पायलट-गहलोत विवाद में यह कोई पहली बार नहीं है, जब कांग्रेस आलाकमान ने किसी भी तरह की बयानबाजी नहीं करने की चेतावनी दी हो। इससे पहले भी कई बार ऐसी ही चेतावनी जारी की जा चुकी है, लेकिन इसका ज्यादा फर्क पड़ता दिखाई नहीं दिया। सितंबर महीने में भी पार्टी ने आंतरिक मामलों पर बयान देने के लिए राजस्थान में पार्टी नेताओं के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी थी। पार्टी ने कहा था, हम राजस्थान में कांग्रेस नेताओं के पार्टी के आंतरिक मामलों और अन्य नेताओं के खिलाफ बयान देख रहे हैं।

पायलट समर्थकों ने संभाला मोर्चा

एक ओर अशोक गहलोत की ओर से वे खुद ही मोर्चा संभाले हुए हैं और सचिन पायलट पर वार कर रहे हैं तो दूसरी ओर पायलट खुद तो ज्यादा बोल नहीं रहे हैं, लेकिन उनके गुट के विधायक उनका साथ लेते हुए मीडिया को प्रतिक्रिया दे रहे। पायलट समर्थक राजेंद्र सिंह गुढ़ा खुलकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में कहा, राजस्थान में सचिन पायलट से बेहतर कोई दूसरा नेता नहीं है। मैं चैलेंज देता हूं कि विधायकों की गिनती क्यों नहीं करवाई जाती है। यदि पायलट के पक्ष में 80 विधायक नहीं होते हैं, तो फिर वे मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग का दावा छोड़ देंगे।

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