सूरत। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे हैं। डायमंड यूनियन ने भाजपा का बायकॉट करने का ऐलान किया है। द डायमंड वर्कर्स यूनियन गुजरात (डीएमयूजी) राज्य में हीरा श्रमिकों (डायमंड वर्कर्स) का सबसे बड़ा संगठन है। इसने हीरा कारीगरों से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का बहिष्कार करने को कहा है।डायमंड सिटी सूरत के अलावा सौराष्ट्र में भी बड़ी संख्या में हीरा श्रमिक हैं। यूनियन की घोषणा से पाटीदार बहुल इन इलाकों में भगवा पार्टी को एक गंभीर झटका लग सकता है। यूनियन ने पूरे गुजरात में अपने लगभग 25,000 सदस्यों को इस संबंध में पत्र भेजा है। इसके अलावा, 150 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप्स पर, 40,000 से अधिक हीरा श्रमिकों को, DWUG के फेसबुक पर जुड़े 80,000 श्रमिकों को और टेलीग्राम ग्रुप पर जुड़े 60,000 से अधिक सदस्यों को भी पत्र भेजकर उनसे भाजपा का बहिष्कार करने का अनुरोध किया गया है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि वे सभी सूरत और सौराष्ट्र क्षेत्र में हीरा कारीगरों के सामने आने वाले मुद्दों के समाधान की गारंटी देने वाले राजनीतिक दलों को वोट दें। DWUG के अध्यक्ष रमेश जिलारिया ने कहा, “बतौर मुख्य संगठन के रूप में, हम हीरा श्रमिकों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं और मुद्दों को गुजरात की भाजपा सरकार के सामने रख रहे हैं, लेकिन उन्होंने समस्याओं को हल करने की परवाह नहीं है। सूरत, नवसारी और सौराष्ट्र क्षेत्र के जिलों के 30 लाख से अधिक हीरा कारीगर पिछले 12 वर्षों से संकट में हैं। इसलिए अभी नहीं तो कभी नहीं।”
भाजपा के बहिष्कार का पाटीदार कनेक्शन समझिए
गुजरात के हीरा उद्योग में लगभग 92% लोग सौराष्ट्रियन पटेल हैं। सूरत के वराछा, करंज, कतार्गम और कामरेज विधानसभा क्षेत्रों में पाटीदार मतदाताओं की अच्छी खासी आबादी है। बड़ी संख्या में समुदाय के लोग हीरा श्रमिक भी हैं। ज्ञात हो कि 2021 में, पाटीदार आरक्षण आंदोलन के प्रभाव और हीरा श्रमिकों की मांगों ने आम आदमी पार्टी (आप) को नगरपालिका चुनावों में लगभग 27 सीटें जीतने में मदद की थी। 2018-19 में, दुनिया में कोरोनावायरस महामारी के आने से ठीक पहले, हीरा उद्योग में बेरोजगारी देखी गई और इसके चलते 16 हीरा श्रमिकों ने आत्महत्याएं कीं। डीडब्ल्यूयूजी ने गुजरात सरकार से पीड़ितों के परिवारों को आर्थिक राहत और नौकरी देने की मांग की थी, जो पूरी नहीं हुई। डीडब्ल्यूयूजी के उपाध्यक्ष भावेश टैंक ने कहा कि सरकार हादसों और भगदड़ों में मारे गए लोगों के परिवारों को अनुग्रह राशि दे रही है, लेकिन वे बेरोजगारी के कारण आत्महत्या करने वाले हीरा श्रमिकों के परिवारों को आर्थिक सहायता देने से कतरा रहे हैं।

