अंतरिक्ष में भारत का झंडा बुलंद, पहला निजी राकेट विक्रम-एस प्रक्षेपित

11.30 बजे भरी उड़ान

श्रीहरिकोटा। अंतरिक्ष के क्षेत्र में दुनिया भर में अपनी कामयाबी का झंडा बुलंद कर चुके भारत ने एक और इतिहास रच दिया है। श्रीहरिकोटा से भारत ने अपना पहला निजी राकेट विक्रम – एस को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित कर दिया है। इसे देश के अंतरिक्ष में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। इस राकेट ने आज सुबह 11.30 बजे अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी। इसके साथ ही भारत के अंतरिक्ष के इतिहास में आज से एक नया पन्ना जुड़ गया।

तीन पे-लोड के साथ गया विक्रम

एक नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है। इस मिशन में दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को भी साथ भेजा गया है। इस राकेट को हैदराबाद की कंपनी स्काईरूट एयरोस्पेस ने डेवलप किया है। इसमें क्रायोनिक ईंधन का उपयोग किया गया है।

रॉकेट का नाम साराभाई के नाम पर

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई को श्रद्धांजलि देते हुए इस रॉकेट का नाम ‘विक्रम-एस’ रखा गया है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) विक्रम-एस को चेन्नई से लगभग 115 किलोमीटर दूर यहां अपने स्पेसपोर्ट से प्रक्षेपित किया है।

मिशन का नाम रखा गया प्रारंभ

एक नई शुरुआत के प्रतीक के रूप में इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया है। चार साल पुराने स्टार्ट-अप ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ के विक्रम-एस रॉकेट के पहले प्रक्षेपण से भारत में अब उम्मीदों का नया सबेरा हो चुका है। यह देश के अंतरिक्ष उद्योग में निजी क्षेत्र के प्रवेश को दर्शा रहा है, जिस पर दशकों से सरकारी स्वामित्व वाले इसरो का प्रभुत्व रहा है।

292 सेकेंड में तय हुई दूरी

लॉन्च के बाद रॉकेट ने ध्वनि की रफ्तार से 5 गुणा तेजी से उड़ान भरी और 292 सेकंड्स के मिशन को तय समय पर पूरा कर 89.5 किलोमीटर के सबआर्बिटल एल्टीट्यूड को हासिल किया और फिर रॉकेट के एल्टीट्यूड को धीरे- धीरे कम करते हुए उसे बंगाल की खाड़ी में सफलता पूर्वक स्प्लेश डाउन करवा दिया गया और इस तरह से देश का पहला निजी स्पेस मिशन कामयाब रहा।

सभी कसौटियों पर खरा उतरा

छह मीटर ऊंचा यह रॉकेट दुनिया का पहला ऑल कंपोजिट रॉकेट है। इसमें थ्रीडी- प्रिटेंड सॉलिड थ्रस्टर्स लगाए गए ताकि उसकी स्पिन कैपिबिलिटी को संभाला जा सके। वजन हल्का करने रॉकेट में स्टील की बजाय कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया। रॉकेट ने सभी कसौटियों को सफलतापूर्वक पार किया जिसके बाद उसे प्रक्षेपित किया गया।

अमेरिका का मुकाबला करेगा भारत

इस मिशन के बाद अब निजी कंपनियां स्पेस लॉन्च वेहिकल बनाएंगी, जिससे भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो को ऐसे निजी रोकेट्स की मदद से ज्यादा से ज्यादा स्पेस मिशन को अंजाम देने में मदद मिलेगी। इसी तरह पहले अमेरिकन अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एलन मस्क की स्पेस एक्स कम्पनी को मंजूरी दी थी, जिसके बाद अमेरिका में स्पेस क्षेत्र में कम समय में तेजी से विकास देखा गया है।

भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम शुक्रवार को उस समय नयी ऊंचाइयों पर पहुंच गया, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) श्रीहरिकोटा में अपने केंद्र से देश के पहले ऐसे रॉकेट का प्रक्षेपण किया। इसे पूरी तरह निजी तौर पर विकसित किया गया है। इन-स्पेस भारत के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा कि यह भारत में निजी क्षेत्र के लिए बड़ी छलांग है। उन्होंने स्काईरूट को रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए अधिकृत की जाने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने पर बधाई दी है।

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