-मरवाही उपचुनाव के समय जाति प्रमाण पत्र 2020 में शासन के पास जमा कराया था
- उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने निरस्त किया था स्थायी प्रमाणपत्र
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी के खिलाफ गलत जाति प्रमाण पत्र पेश करने के मामले में एफआईआर दर्ज कर ली गई है। राज्य स्तरीय जाति छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के खिलाफ मुंगेली के सिटी कोतवाली थाने में केस दर्ज कराया है। खुद को अनुसूचित जनजाति की बताते हुए ऋचा ने यह जाति प्रमाण पत्र 2020 में मरवाही उपचुनाव के समय शासन के पास जमा कराया था।
यह एफआईआर आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त एल आर कुर्रे ने दर्ज कराई है। शिकायत में कहा गया है कि ऋचा रुपाली साधु (शादी से पहले का नाम) ने अवैध रूप से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र तैयार कर इसे उपयोग किया। ऋचा के खिलाफ सामाजिक प्रस्थिति प्रमाणीकरण अधिनियम 2013 की धारा 10 के तहत अपराध क्रमांक 651 दर्ज किया गया है।
गौैरतलब है कि वर्ष 2020 में पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई मरवाही विधानसभा सीट के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की बहू ऋचा जोगी ने भी नामांकन दाखिल करते हुए चुनाव लड़ने के लिए दावेदारी पेश की थी। इसमें उन्होंने ऋचा रूपाली साधु के नाम से जाति प्रमाण पत्र जारी होना बताया था। जून 2021 में लेकिन उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने ऋचा जोगी के गोंड़ अनुसूचित जनजाति के स्थायी प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया था। उस दौरान उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति के अध्यक्ष डीडी सिंह थे। समिति के अनुसार ऋचा जोगी के पिता क्रिश्चियन थे और समिति ने सभी पक्षों की सुनवाई करने के बाद यह फैसला लिया है।
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16 पृष्ठ के फैसले में सभी के बयान दर्ज
दरअसल ऋचा जोगी को मुंगेली जिले के जरहागांव तहसील के पेंड्रीडीह गांव से अनुसूचित जनजाति का प्रमाणपत्र जारी किया गया था। इस बारे में शिकायत मिलने पर राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने विस्तार से जांच की और 23 जून 2021 को रिपोर्ट दाखिल की। इसमें ऋचा के प्रमाणपत्र को अवैध ठहराते हुए इसे निरस्त करने के लिए आदेशित किया गया था। वहीं मुंगेली के जिला प्रशासन को कार्रवाई के लिए भी निर्देशित किया गया था।
16 पृष्ठ के फैसले में छानबीन समिति ने ऋचा जोगी का दावा खारिज करने के लिए विजिलेंस सेल की रिपोर्ट, ऋचा जोगी की ओर से दिए गए भूमि और शैक्षणिक दस्तावेज और उनके पुरखों के गांव के लोगों के बयानों को आधार बनाया था। छानबीन समिति का निष्कर्ष था कि ऋचा जोगी अपने पुरखों के गोंड जनजाति का होने का दावा प्रमाणित नहीं कर पाईं। ऐसे में 27 जुलाई 2020 को मुंगेली से जारी उनका जाति प्रमाणपत्र निरस्त किया जाता है। छानबीन समिति के उप पुलिस अधीक्षक को उनका जाति प्रमाणपत्र जब्त करने को भी अधिकृत किया गया था।
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स्कूली रिकार्ड में भी क्रिश्चियन दर्ज
पढ़ाई में छानबीन समिति ने अपने फैसले में जिन तथ्यों का उल्लेख किया था, उसमें ऋचा जोगी के पुरखों की जाति की पूरी कहानी धर्मांतरण की परतों में उलझकर रह गई थी। जांच में सामने आया था कि उनके पूर्वज वर्णवासी साधू, निवासी विश्रामपुर जिला बलौदा बाजार ने यहां 1940 में जमीन खरीदी थी। साथ ही बलौदा बाजार के इंग्लिश मिडिल स्कूल में उनके पूर्वज का नाम दर्ज है, लेकिन जाति में क्रिश्चियन लिखा हुआ है। खुद ऋचा जोगी के स्कूली दस्तावेजों में जाति कॉलम में क्रिश्चियन दर्ज है। भूमि क्रय-विक्रय के 12 दस्तावेजों में खुद ऋचा जोगी और उनके पूर्वज खुद को ईसाई (जन्म से गैर आदिवासी) बता चुके हैं। ऋचा जोगी ने इसी प्रमाण पत्र के आधार पर साल 2020 में मरवाही उपचुनाव में नामांकन भी जमा किया था, जिसे जिला निर्वाचन अधिकारी और तत्कालीन कलेक्टर डोमन सिंह ने खारिज कर दिया था और उन्हें मरवाही आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहराया था।
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झूठी एफआईआर को कोर्ट में दूंगी चुनौती: ऋचा
श्रीमती ऋचा जोगी ने दर्ज एफआईआर को गलत बताते हुए इसे कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वे अजीत जोगी की बहू हैं और इन हथकंडों से घबराने वाली नहीं हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक आते ही कभी भाजपा तो कभी कांग्रेस नेताओं को जोगेरिया हो जाता है। डॉ रमन सिंह को भी जोगेरिया हुआ था और नतीजा आज घर में बैठे हैं। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी की पत्नी ऋचा जोगी ने कहा कि ”जोगी जन अधिकार पदयात्रा” के शुरू होने से बिल्कुल ठीक पहले मेरे विरुद्ध एफआईआर करना यह प्रमाणित करता है कि मुख्यमंत्री एक बार फिर ‘जोगेरिया’ से ग्रसित हो गए हैं। उन्होंने कहा मेरी जाति का मामला न्यायालय में विचाराधीन है, उसके बाद भी बिना किसी कोर्ट ऑर्डर के मेरे खिलाफ अचानक केस दर्ज करना मुझे जोगी जन अधिकार पदयात्रा में भाग लेने से रोकने का प्रयास है। मरवाही सदन में पत्रवार्ता में उन्होंने कहा कि वे जोगी जन अधिकार पदयात्रा की अकलतरा विधानसभा की पर्यवेक्षक हैं। पदयात्रा की जोर-शोर से तैयारी हो रही है और हमारी पार्टी को मिल रहे जनसमर्थन से घबराकर यह एफआईआर कराई गई है। उन्होंने कहा कि वे इस गैरकानूनी एफआईआर को कोर्ट में चैलेंज करेंगी।

