लाल किला हमले के दोषी अशफाक की फांसी की सजा बरकरार, रिव्यू पिटीशन खारिज

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने साल 2000 में हुए लाल किले पर हमले के दोषी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। कोर्ट ने मोहम्मद आरिफ की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया। इस मामले में निचली अदालत ने साल 2005 में आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में इस मामले में सुनवाई करते हुए फांसी को बरकरार रखा था। हालांकि, अभी उसकी फांसी की तारीख मुकर्रर नहीं हुई है।

चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस बेला त्रिवेदी की बेंच ने उसकी याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस और कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड को नहीं भी माना जाए, तो भी उसकी सजा को बरकरार रखने के काफी सबूत हैं। मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक पाकिस्तानी नागरिक है, जो लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी है। ट्रायल कोर्ट ने अक्टूबर 2005 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। उसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उसकी फांसी की सजा को बरकरार रखा है।

दो आतंकी ढेर, दो जवान हुए थे शहीद

बता दें कि लाल किले पर आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने 22 दिसंबर 2000 को 6 आतंकवादियों ने हमला किया था। उस हमले में दो सैनिकों समेत तीन लोग मारे गए थे। लाल किला हमले के मामले में 31 अक्टूबर 2005 को निचली अदालत ने आरिफ को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में भी फांसी की सजा बरकरार रखी थी।

पहले भी दो बार याचिका हुई खारिज

गौरतलब है कि 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की फांसी की सजा को बरकरार रखते हुए पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आरिफ की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी थी। उसके बाद अब एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने दोषी की सजा को लेकर दायर की गई रिव्यू पिटीशन को भी खारिज कर दिया है।

साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में याकूब मेमन और आरिफ की याचिका पर ही ऐतिहासिक फैसला दिया था कि फांसी की सज़ा पाए दोषियों की पुनर्विचार याचिका ओपन कोर्ट में सुनी जानी चाहिए। इससे पहले पुनर्विचार याचिका की सुनवाई न्यायधीश अपने चैम्बर में करते थे। जानकारों के मुताबिक, यह पहला मामला था, जिसमें फांसी की सज़ा पाए किसी दोषी की पुनर्विचार याचिका और क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका पर दोबारा सुनवाई की।

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