-हरिद्वार के देव संस्कृत विवि में पढ़ रहे रूस, जर्मनी, चीन जैसे देशों के छात्र
हरिद्वार। योग और संस्कृत को भारतीय छात्र-छात्राएं भले ही अंग्रेजी की तुलना में कमतर आंकते हैं, लेकिन विदेशी छात्रों में इनका क्रेज बढ़ रहा है। जर्मनी और चीन समेत कई देशों के छात्र संस्कृत व योग में कॅरिअर की संभावनाएं तलाश रहे हैं। योग और संस्कृत की डिग्री लेने के लिए भारत पढ़ने आ रहे हैं। शांतिकुंज परिवार का हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय भी विदेशी छात्रों की पाठशाला बना है। देव संस्कृत विवि से अब तक 151 विदेशी छात्र डिग्री ले चुके हैं।
देव संस्कृति विवि के पत्रकारिता विभाग के असिस्टेंट प्रो. दीपक कुमार बताते हैं कि देव संस्कृति विश्वविद्यालय की स्थापना 2002 में हुई थी। विश्वविद्यालय में विधिवत दीक्षांत समारोह की शुरुआत 2017 से हुई। 2017 से 2021 तक 151 छात्रों ने यहां शिक्षा ग्रहण की है। वेनेजुएला के योग छात्र जोसे लुईस का कहना था, बचपन से ही अध्यात्मिक सवालों के जवाब खोजने में रूचि रही है। आध्यात्मवाद से पढ़ाई करना चाहता था। इंटरनेट की मदद से देव संस्कृति विवि की जानकारी मिली। पढ़ाई पूरी कर योग में कॅरिअर बनाना है।
चीन, रूस, जर्मनी के छात्र ज्यादा
देव संस्कृति विवि में जर्मनी, चीन, यूके, यूएस, रूस, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल और अफ्रीका का नाटिबिया समेत कई देशों के छात्र पढ़ने आ रहे हैं। 151 में से 90 फीसदी छात्र-छात्राओं ने योग की डिग्री ली है। जबकि पड़ोसी मुल्कों के छात्र संस्कृत की पढ़ाई करने आ रहे हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर बताते हैं डिग्री लेते ही विदेशों में योग सीखाते हैं। इसमें युवा अपना कॅरिअर बना रहे हैं। योग में पीएचडी, स्नातक, मास्टर डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के अलग-अलग कोर्स कर रहे हैं।
000

