नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान परीक्षण करने के लिए महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर 35 वर्ष के आयु प्रतिबंध के खिलाफ याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने वकील मीरा कौरा पटेल की याचिका पर केंद्र व अन्य को नोटिस जारी किया। याचिका में गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन निषेध) अधिनियम, 1994 की धारा 4(3)(i) में 35 वर्ष की आयु सीमा महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर प्रतिबंध का हवाला दिया गया है। अधिनियम के अनुसार, जब तक गर्भवती महिला की आयु 35 वर्ष से अधिक न हो, प्रसव पूर्व निदान तकनीक का उपयोग या संचालन नहीं किया जाएगा।
गर्भपात पर पहले आया था फैसला
महिलाओं के प्रजनन अधिकारों पर एक महत्वपूर्ण फैसले में, शीर्ष अदालत ने पहले माना था कि सभी महिलाएं गर्भावस्था के 24 सप्ताह तक सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं और वैवाहिक स्थिति के आधार पर कोई भेद करना सांविधानिक रूप से अस्थिर है।
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