140 साल से भी ज्यादा पुराना पुल टूटा, सैकड़ों डूबे, 60 की मौत, कई लापता

—–रविवार की शाम गुजरात में बड़ा हादसा,

गांधीनगर। गुजरात के मोरबी में रविवार शाम बड़ा हादसा हो गया। यहां मच्छु नदी में बना केबल पुल अचानक टूट गया। इससे 400 से अधिक लोग नदी में गिर गए। हादसे में करीब 60 से अधिक लोगों की मौत की बात सामने आ रही है। देर रात तक बचाव और राहत कार्य जारी रहा। 765 फीट लंबे केबल पुल का निर्माण 1880 में महज साढ़े तीन लाख में बनाया गया था। पिछले दिनों मरम्मत के बाद 25 अक्टूबर को यह पुल आम लोगों के लिए खोला गया था।

गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बना करीब एक सदी पुराना केबल पुल रविवार शाम टूट गया, जिससे उस पर खड़े कई लोग नदी में गिर गए। अधिकारियों ने कहा कि हाल ही में मरम्मत के बाद जनता के लिए फिर से खोला गया पुल टूट गया क्योंकि यह उस पर खड़े लोगों का भार सहन नहीं कर सका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने हादसे को लेकर दुख जताया है।

स्थानीय विधायक एवं राज्य मंत्री बृजेश मेरजा ने कहा, पुल टूटने से कई लोग नदी में गिर गए। बचाव अभियान जारी है। ऐसी जानकारी है कि इसमें कई लोग घायल हुए हैं। उन्हें अस्पताल ले जाया जा रहा है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल जिस समय टूटा उस समय उस पर कई महिलाएं और बच्चे थे। मौके पर मौजूद लोगों के मुताबिक हादसे के समय पुल पर बड़ी तादाद में भीड़ मौजूद थी। रेस्क्यू ऑपरेशन में स्थानीय लोग भी पुलिस और प्रशासन की मदद करते रहे। मौके पर एनडीआरएफ की 2 टीम मोरबी पहुंची और रेस्क्यू में जुट गई। केबल ब्रिज काफी पुराना बताया जा रहा है। इसे महज 5 दिन पहले ही रिनोवेशन के बाद चालू किया गया था. रिनोवेशन के बाद भी इतना बड़ा हादसा होने पर अब कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

सेल्फी लेने जुटी थी भीड़

पिछले 7 महीने से इस पुल की मरम्मत चल रही थी। रिनोवेशन का काम एक ट्रस्ट ने किया था। इतने समय बाद पुल खुलने के कारण रविवार को बड़ी तादाद में लोग अपने परिवारों के साथ पुल पर तस्वीरें और सेल्फी लेने के लिए पहुंचे थे। ऐसे में भीड़ बढ़ी गई और पुल टूट गया।

कांग्रेस ने भाजपा को घेरा

इधर, हादसे पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया। इसके अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी घटना को दुखद बताया।

इसी पुल से मोरबी के राजा जाते थे दरबार

बताया जाता है कि इसी पुल से राजा प्रजावत्स्ल्य राजमहल से राज दरबार तक जाते थे। ब्रिज का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान हुआ था। उस समय राजा राजमहल से राज दरबार तक जाने के लिए इसी पुल का इस्तेमाल करते थे। राजशाही खत्म होने के बाद इस पुल की जिम्मेदारी मोरबी नगर पालिका को सौंप दी गई थी। लकड़ी और तारों से बना यह पुल 233 मीटर लंबा और 4.6 फीट चौड़ा है।

एक नजर

765 फीट लंबा पुल

3.50 लाख में 1880 में बना

6 महीने से बंद था पुल

2 करोड़ की लागत से मरम्मत

25 अक्टूबर को खोला

6 दिन में ढह गया


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