गांधी परिवार के दो एनजीओ का लाइसेंस रद्द, विदेशी फंडिंग के आरोप में कार्रवाई

–केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फोरगेन कन्ट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट के तहत लिया एक्शन

-राजीव गांधी फाउंडेशन व चैरिटेबल ट्रस्ट अब नहीं ले सकेंगे अब विदेशी फंड

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने रविवार को गांधी परिवार से जुड़े दो गैर सरकारी संगठन पर बड़ी कार्रवाई की है। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) का एफसीआरए लाइसेंस रद्द किया है। गृह मंत्रालय ने ये कार्रवाई फोरगेन कन्ट्रीब्यूशन (रेगुलेशन) एक्ट के तहत की है। संगठन पर विदेशी फंडिंग कानून के कथित उल्लंघन का आरोप है। गृह मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, जुलाई 2020 मे एमएचए ने मंत्रालय के अंदर जांच कमेटी बनाई थी, उसकी रिपोर्ट के आधार पर ये फैसला लिया गया है। इस जांच कमेटी में एमएचए, ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के अधिकारी शामिल थे। सूत्रों का कहना है कि एफसीआरए लाइसेंस कैंसिल करने का नोटिस राजीव गांधी फाउंडेशन के ऑफिस बियरर को भेज दिया गया है।

सोनिया, राहुल और प्रियंका ट्रस्टी

बताते चलें कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आरजीएफ की अध्यक्ष हैं। जबकि अन्य ट्रस्टियों में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं। आरजीएफ की वेबसाइट के मुताबिक, संगठन को 1991 में स्थापित किया गया।

1991 में हुई फाउंडेशन की स्थापना

राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) की स्थापना पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विजन को पूरा करने के लिए की गई थी। फाउंडेशन की ऑफिशियल वेबसाइट आरजीएफइंडियाडॉटओआरजी पर दी गई जानकारी के अनुसार 1991 से 2009 तक फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, साक्षरता, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला और बाल विकास, निःशक्तजनों को सहायता, पंचायती राज संस्थाओं, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, और पुस्तकालयों समेत कई मुद्दों पर काम किया है।

फाउंडेशन पर चीन से फंडिंग का आरोप

बता दें कि जून 2020 में बीजेपी ने फाउंडेशन पर विदेशी फंडिंग का आरोप लगाया था। तत्कालीन कानून मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने दावा किया था कि चीन ने राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए फंडिंग की है। एक कानून है जिसके तहत कोई भी पार्टी बिना सरकार की अनुमति के विदेश से पैसा नहीं ले सकती. कांग्रेस स्पष्ट करे कि इस डोनेशन के लिए क्या सरकार से मंजूरी ली गई थी? उन्होंने दावा किया था कि राजीव गांधी फाउंडेशन के लिए 2005-06 की डोनर की सूची है। इसमें चीन के एम्बेसी ने डोनेट किया- ऐसा साफ लिखा है। ऐसा क्यों हुआ? क्या जरूरत पड़ी? इसमें कई उद्योगपतियों, पीएसयू का भी नाम है। क्या ये काफी नहीं था कि चीन एम्बेसी से भी रिश्वत लेनी पड़ी. उन्होंने दावा किया कि चीन से फाउंडेशन को 90 लाख की फंडिंग की गई।


गांधी परिवार को बदनाम करने का प्रयास

इधर, राजस्थान के सीएम व दिग्गज कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने कहा, “राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के एफसीआरए लाइसेंस रद्द करना मोदी सरकार के राजनीतिक दुर्भावना का प्रतीक है। इन दोनों संस्थानों का भूकंप, सुनामी और कोविड सहित हर आपदा के पीड़ितों की मदद करने का इतिहास रहा है। राजीव गांधी फाउंडेशन अनाथों, महिलाओं और विकलांगों की सेवा के लिए काम करता है। “केवल राजनीतिक कारणों से इन संस्थानों पर हमला करना मोदी सरकार द्वारा गांधी परिवार को बदनाम करने के लिए एक और कुप्रयास है।

कानून से ऊपर कोई नहीं : भाजपा

भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने दावा किया कि कानूनों के कथित उल्लंघन पर राजीव गांधी फाउंडेशन (आरजीएफ) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (आरजीसीटी) के विदेशी अंशदान नियमन कानून लाइसेंस रद्द करने के गृह मंत्रालय के फैसले ने उनके भ्रष्टाचार को ‘उजागर’ कर दिया है। पात्रा ने आरोप लगाया कि जब भारतीय सेना का डोकलाम संकट के दौरान चीनी बलों के साथ गतिरोध हुआ था, तब गांधी परिवार ‘चीनी खेमे’ के साथ था। पात्रा ने तत्कालीन चीनी राजदूत से राहुल गांधी की मुलाकात का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए यह आरोप लगाया। उन्होंने आरोप लगाया कि इन एनजीओ को तत्कालीन सत्तारूढ़ सरकार से संरक्षण प्राप्त हुआ था, क्योंकि कई मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों ने उन्हें दान के रूप में बड़ी मात्रा में रकम दी थी।

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