घृणा का माहौल हो रहा हावी, इस कोर्ट की जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करे
नई दिल्ली। राजनीतिक नेताओं, धर्मगुरुओं और तथाकथित सेलेब्रिटी लोगों द्वारा धर्म को लेकर दिए जा रहे भड़काऊ बयानों पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि इस कोर्ट की जिम्मेदारी है कि यह इस तरह के मामलो में हस्तक्षेप करे। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा कि या तो हेट स्पीच देने वाले दोषियों पर कार्रवाई कीजिए, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड की पुलिस को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने पूछा कि, हेट स्पीच में लिप्त लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई।
दरअसल शाहीन अब्दुल्लाह नाम के याचिकाकर्ता ने मुसलमानों के खिलाफ घृणित टिप्पणी करने वालों के खिलाफ यूएपीए के तहत कार्यवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इसके अलावा याचिका में मुसलमानों के खिलाफ घृणा फैलाने वालों मामलों की स्वतंत्र जांच की मांग भी की गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा, हमें इस कोर्ट में नहीं आना चाहिए, लेकिन हमने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। अदालत या प्रशासन कभी कार्रवाई नहीं करता। हमेशा स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाती है। ये लोग आए दिन कार्यक्रमों में ऐसे भाषण दे रहे हैं।
सिब्बल से पूछा- आप तो स्वयं कानून मंत्री थे
बेंच ने पूछा – आप खुद कानून मंत्री थे? क्या तब कुछ किया गया? ये हल्के नोट पर पूछ रहा हूं। नई शिकायत क्या है? सिब्बल ने बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के भाषण का हवाला दिया। यह भाजपा के एक नेता द्वारा किया गया है। कहा गया है हम उनकी दुकान से नहीं खरीदेंगे, नौकरी नहीं देंगे। प्रशासन कुछ नहीं करता, हम कोर्ट आते रहते हैं।
बेंच ने कहा- गला काटने की बात भी है भाषण में
बेंच ने कहा, भाषण में कहा गया है – अगर जरूरत पड़ी, तो हम उनका गला काट देंगे… सिब्बल ने कहा, हां, वे और टीम। वह पार्टी के सांसद हैं। सिब्बल ने कोर्ट को अन्य घटनाओं की जानकारी दी। बेंच ने कहा- क्या मुसलमान भी हेट स्पीच दे रहे हैं? सिब्बल ने कहा, नहीं, अगर वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें समान रूप से हेट स्पीच नहीं देनी चाहिए।
पुलिस स्वत: संज्ञान ले, अन्यथा कार्रवाई होगी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए। घृणा का माहौल देश पर हावी हो गया है। आए दिए जा रहे बयान विचलित करने वाले हैं। ऐसे बयानों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अगर कोई शिकायत ना हो तो भी पुलिस स्वत: संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर लापरवाही हुई तो अफसरों पर अवमानना कार्रवाई होगी।
धर्म के नाम पर हम कहां पहुंच गए?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा 21 वीं सदी में ये क्या हो रहा है? धर्म के नाम पर हम कहां हम पहुंच गए हैं? हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है। सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई।
कानून होने के बाद भी निष्क्रियता क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने आदेश में कहा कि, हेट स्पीच को लेकर आरोप बहुत गंभीर हैं। भारत का संविधान हमें एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में परिकल्पित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों के बारे में आईपीसी में उपयुक्त प्रावधानों के बावजूद निष्क्रियता क्यों है। हमें मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करना होगा।
ये बयान काफी परेशान करने वाले : पीठ
जस्टिस ह्रषिकेश रॉय ने कहा, ये बयान बहुत परेशान करने वाले हैं। एक देश जो लोकतंत्र और धर्म तटस्थ है। आप कह रहे हैं कि आईपीसी में कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन यह शिकायत एक समुदाय के खिलाफ है। कोर्ट को ऐसा नहीं देखना चाहिए। सिब्बल ने कहा, इन आयोजनों में पुलिस अधिकारी भी नहीं होते हैं। नौ अक्टूबर को ऐसा हुआ।
तीन राज्यों की पुलिस को नोटिस जारी
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने पूछा है कि हेट स्पीच में शामिल लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर कोई शिकायत ना हो तो भी पुलिस खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करे। भड़काऊ भाषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा अगर लापरवाही हुई तो अफसरों पर अवमानना कार्रवाई होगी।
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