नई दिल्ली।
बीते करीब आठ महीने से अधिक वक्त से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर जनमत संग्रह के साथ की गई रूस के कब्जे की हालिया कार्रवाई की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा करने के लिए लाया गया एक प्रस्ताव पारित हो गया है। भारत ने हालांकि इस पर मतदान से दूरी बनाई है। महासभा में 143 देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, 4 ने इसके खिलाफ और रूस के समर्थन में मतदान किया और भारत समेत 35 देशों ने मतदान से दूरी बनाई। दरअसल बीते बुधवार देर रात कुल 193 सदस्यों वाली यूएनजीए की बैठक में अमेरिका और यूरोपीय देशों के सहयोग से ‘टेरिटोरियल इंटीग्रिटी ऑफ यूक्रेन’ के नाम से ये प्रस्ताव लाया गया था। जिसे लेकर यूएन में भारत की स्थायी प्रतिनिधि और वरिष्ठ राजदूत रुचिरा कंबोज ने महासभा के समक्ष यूक्रेन विवाद को लेकर देश के रुख को पुन: साफ करते हुए कहा कि भारत ने बातचीत और कूटनीति के जरिए समाधान के समर्थन में ही यूएनजीए में निंदा प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाई है। भारत यूक्रेन में संघर्ष बढ़ने को लेकर बेहद चिंतित है। जिसमें जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने से लेकर नागरिकों की मौत शामिल है। मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है। यहां बता दें कि इसके पूर्व में इसी तरह का एक प्रस्ताव अमेरिका के सहयोग से अल्बानिया द्वारा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी लाया गया था। जिसे रूस ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल कर खारिज करा दिया था।
शांति के पक्ष में खड़ा रहेगा भारत
रुचिरा कंबोज ने ये भी कहा कि भारत रूस-यूक्रेन के बीच तनाव को कम करने के लिए उठाए जाने वाले सभी कदमों और प्रयासों का समर्थन करता है। मानव जीवन की कीमत पर कभी भी कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। भारत अंतरराष्ट्रीय कानून, यूएन चार्टर, सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को सम्मान पूर्वक बरकरार रखने के पक्ष में है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समरकंद में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई द्विपक्षीय बैठक में दिए गए बयान को दोहराते हुए कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है। भारत दोनों पक्षों से तत्काल संघर्षविराम के साथ सभी प्रकार की शत्रुता और हिंसा को समाप्त किए जाने के पक्ष में है। विदेश मंत्री एस.जयशंकर द्वारा पिछले महीने यूएनजीए में दिए गए बयान का जिक्र करते हुए कंबोज ने कहा कि वोट न देने का हमारा फैसला भारत की स्थिति के अनुरूप है। जयशंकर ने महासभा में कहा था कि भारत इस मामले में शांति के पक्ष में ही खड़ा रहेगा। रुचिरा ने कहा, इस विवाद का ग्लोबल साउथ पर काफी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। विकासशील देशों के सामने खाने-पीने से लेकर ईंधन और उर्वरकों का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
रूस का दावा, विलय को तैयार थे चारों क्षेत्र
रूस के खिलाफ लाए गए इस निंदा प्रस्ताव में ये भी कहा गया कि रूस ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन किया है। यूक्रेन की तमाम सीमाओं से रूस अपनी सेना को वापस बुलाए। इस पर रूस ने दावा किया कि दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहांस्क और जपोरिजिया क्षेत्र में उसने जनमत संग्रह कराया है और वहां के लोग रूस के साथ आना चाहते हैं। लेकिन अमेरिका के अलावा यूरोपीय देशों ने इसे स्वीकार नहीं किया और उसके बाद महासभा में रूस के खिलाफ उक्त निंदा प्रस्ताव लाया गया।
दुनिया के नक्शे से नहीं मिट सकता कोई संप्रभु देश
इस प्रस्ताव के महासभा में पारित होने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति जो.बाइडन ने खुशी जाहिर करते कहा कि रूस किसी संप्रभु देश को दुनिया के नक्शे से नहीं मिटा सकता। आज दुनिया के छोटे-बड़े, विभिन्न विचारधाराओं और सरकारों वाले देशों ने यूएन चार्टर का बचाव करने के लिए मतदान किया और यूक्रेन के क्षेत्रों पर बलपूर्वक कब्जा करने के अवैध रूसी प्रयास की निंदा की है। उन्होंने कहा, 143 देश स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के पक्ष में खड़े हुए। जबकि रूस अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा की नींव को गिरा रहा है। इसके अलावा यूएन में यूक्रेन के राजदूत सर्गेई किस्लित्स्या ने महासभा में मतदान को अद्भुत और ऐतिहासिक क्षण बताया।
वोटिंग के दौरान देशों की स्थिति
रूस के खिलाफ महासभा में लाए गए इस निंदा प्रस्ताव के समर्थन में अमेरिका, यूरोप समेत नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, म्यांमार, सऊदी अरब, यूएई, ब्राजील और गल्फ सहयोग परिषद के देश शामिल हुए। रूस के समर्थन वाले चार देशों में नार्थ कोरिया, सीरिया, निकारागुआ और बेलारूस शामिल हैं। जबकि इस प्रस्ताव पर मतदान से दूरी बनाने वाले 35 देशों में से अफ्रीका महाद्वीप के 19 देश शामिल हुए। इसके अलावा भारत, चीन, पाकिस्तान, श्रीलंका, क्यूबा ने भी यूएनजीए में मतदान से दूरी बनाई।
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