—-खोखले चुनावी वादों पर एक्शन में इलेक्शन कमीशन
—निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों की लिखी चिट्ठी, किया आगाह
—ईसी ने कहा- खोखले चुनावी वादों के होंगे दूरगामी प्रभाव
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नई दिल्ली। देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव इस साल होने वाले हैं। छत्तीसगढ़ समेत कुछ राज्यों में अगले साल चुनाव होंगे। अगले महीने कुछ राज्यों में उपचुनाव होने वाले हैं। ऐसे में चुनाव आयोग एक्शन में है। मंगलवार को चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को खोखले चुनावी वादों से बचने की सलाह दी है। आयोग ने एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया है कि सियासी दलों को बताना होगा कि कैसे चुनावी वादे पूरे करेंगे और इसके लिए फंड का इंतजाम कैसे होगा?
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निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में मतदाताओं को प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने को लेकर राजनीतिक दलों को पत्र लिखा। आयोग ने इस मुद्दे पर उनके विचार जानने चाहे। निर्वाचन आयोग ने कहा कि वह चुनावी वादों पर पूर्ण जानकारी ना देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता है क्योंकि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होंगे। राजनीतिक दलों द्वारा किए गए चुनावी वादों की घोषणा संबंधी प्रस्तावित प्रारूप में तथ्यों को तुलना योग्य बनाने वाली जानकारी की प्रकृति में मानकीकरण लाने का प्रयास किया गया है। प्रस्तावित प्रारूप में वादों के वित्तीय निहितार्थ और वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता की घोषणा करना अनिवार्य है। सुधार के प्रस्ताव के जरिए, निर्वाचन आयोग का मकसद मतदाताओं को घोषणापत्र में चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में सूचित करने के साथ ही यह भी अवगत कराना कि क्या वे राज्य या केंद्र सरकार की वित्तीय क्षमता के भीतर हैं या नहीं।
गौरतलब है कि 6 राज्यों की रिक्त 7 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को उपचुनाव होगा। आयोग ने बताया कि ये उपचुनाव बिहार के मोकामा और गोपालगंज, महाराष्ट्र के अंधेरी (पूर्व), हरियाणा के आदमपुर, तेलंगाना के मुनुगोडे, उत्तर प्रदेश के गोला गोरखनाथ और ओडिशा के धामनगर विधानसभा क्षेत्र में होंगे। इन चुनावों की अधिसूचना सात अक्टूबर को जारी होगी। मतों की गिनती छह नवंबर को होगी।
आयोग ने कहा- हम आंख मूंदकर नहीं बैठ सकते
निर्वाचन आयोग ने कहा कि हम इस मुद्दे पर आंख मूंदे नहीं रह सकते हैं। अगर राजनीतिक दल सिर्फ खोखले वादे कर रहे हैं, तो इसके दूरगामी असर होंगे। आयोग ने अपनी चिट्ठी में सभी राजनीतिक दलों से इस मुद्दे पर 19 अक्टूबर तक अपना सुझाव देने को कहा है।
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19 अक्टूबर तक मांगा जवाब
निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को लिखी अपनी चिट्ठी में सभी वादों को डिटेल में बताने का प्रस्ताव दिया, साथ ही उसके तमाम फायदे और आर्थिक पक्ष का ब्योरा देने को भी कहा। आयोग ने सभी दलों से 19 अक्टूबर तक अपनी राय भेजने के लिए कहा है। सुधार के प्रस्ताव के जरिए, निर्वाचन आयोग का मकसद मतदाताओं को घोषणापत्र में चुनावी वादों की वित्तीय व्यवहार्यता के बारे में सूचित करने के साथ ही यह भी अवगत कराना है कि क्या वे राज्य या केंद्र सरकार की वित्तीय क्षमता के भीतर हैं या नहीं?
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सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने 3 अगस्त को देशभर में चुनाव से पहले मुफ्त योजनाओं के वादे के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की थी। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ‘रेवड़ी कल्चर’ पर सख्ती दिखाते हुए चुनाव से पहले इसका हल निकालने के लिए केंद्र सरकार, चुनाव आयोग और याचिका के सभी पक्षों से एक संस्था के गठन पर सुझाव मांगा है।
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चुनावों में सियासी दलों ने किए थे ऐसे-ऐसे वादे
बिहार में भाजपा ने मुफ्त कोरोना वैक्सीन देने का वादा किया।
पंजाब में आप ने 18 साल से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपए महीना देने का वादा किया।
पंजाब में शिअद ने हर महिला को 2,000 रुपए देने का वादा किया।
गुजरात में आप ने बेरोजगारों को 3000 रु. महीना भत्ता देने का वादा किया।
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस ने घरेलू महिलाओं को 2000 रु. माह देने का वादा किया।
उत्तरप्रदेश में कांग्रेस का 12वीं की छात्राओं को स्मार्टफोन देने का वादा।
उत्तरप्रदेश में भाजपा ने 2 करोड़ टैबलेट देने का वादा किया था।
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