भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने गुरुवार को कोलंबो में गोतबाया राजपक्षे से मुलाकात की। स्वामी अपदस्थ श्रीलंकाई राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले पहले विदेशी आगंतुक हैं। अभूतपूर्व विरोध के बीच राजपक्षे ने देश छोड़ दिया था और इस महीने की शुरुआत में ही वे कोलंबो लौटकर आए हैं। राजपक्षे परिवार के करीबी दोस्त स्वामी ने भी बुधवार शाम गोतबाया के भाई महिंदा राजपक्षे से मुलाकात की और उनके आवास पर नवरात्रि पूजा में शामिल हुए।
राजपक्षे भाइयों के करीबी दोस्त हैं स्वामी
एक सूत्र ने कहा, राजपक्षे भाइयों के करीबी दोस्त स्वामी ने आज सुबह गोतबाया राजपक्षे से मुलाकात करने से पहले महिंदा राजपक्षे के आधिकारिक आवास पर आयोजित नवरात्रि पूजा में भाग लिया। स्वामी, गोतबाया से मिलने वाले पहले विदेशी आगंतुक बन गए। राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर मालदीव भाग गए थे। इसके बाद वह सिंगापुर और फिर थाईलैंड पहुंचे। फिलहाल वह कड़ी सुरक्षा के बीच कोलंबो में रह रहे हैं।
वकीलों के एक समूह सहित एक प्रतिनिधिमंडल के साथ स्वामी ने कोलंबो में श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्धने से भी मुलाकात की। उन्होंने कोलंबो में जनरल सर जॉन कोटेलावाला रक्षा विश्वविद्यालय (केडीयू) द्वारा आयोजित आर्थिक पुनरुद्धार राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता के माध्यम से प्रौद्योगिकी और नवाचार के माध्यम से 15 वें अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन (आईआरसी) के उद्घाटन समारोह में भी भाग लिया। इस अवसर पर श्रीलंका के रक्षा सचिव कमल गुणरत्ने डिप्लोमैटिक कोर के सदस्य, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थल सेना और नौसेना कमांडर, अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, वायु सेना के चीफ ऑफ स्टाफ और विदेशी देशों के प्रख्यात वक्ता भी उपस्थित थे।
आर्थिक संकट से निपटने के लिए दो विशेष उप-समितियों का गठन
प्रधानमंत्री दिनेश गुनावर्धने की अध्यक्षता में लंका के संसदीय पैनल ने देश के आर्थिक संकट से निपटने के लिए गुरुवार को दो विशेष उप-समितियों का गठन किया है। अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धना के नेतृत्व में राष्ट्रीय परिषद के उद्घाटन सत्र के दौरान यह निर्णय लिया गया। संसद को सूचित किया गया बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि राष्ट्रीय परिषद राष्ट्रीय नीतियों और आर्थिक स्थिरीकरण से संबंधित दो उप-समिति बनाएगी।
पिछले हफ्ते श्रीलंका के आर्थिक संकट से निपटने के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए गुनावर्धने और विभिन्न राजनीतिक दलों के 32 सदस्यों की अध्यक्षता में राष्ट्रीय परिषद की स्थापना की गई थी। गुरुवार को उद्घाटन सत्र में बोलते हुए गुनावर्धने ने कहा कि वह राजनीतिक परिदृष्य के दोनों पक्षों के सदस्यों की भागीदारी को देखकर खुश हैं। राष्ट्रीय परिषद संसद के कामकाज को और मजबूत करेगी।

