सोनिया गांधी ने मांगी लिखित रिपोर्ट, अजय माकन ने बताईं मीटिंग की बड़ी बातें
राजस्थान में पिछले दिनों से चल रहा सियासी संकट और गहरा गया है। अशोक गहलोत गुट के विधायकों द्वारा इस्तीफे दिए जाने के बाद उत्पन्न संकट को संभालने में खुद गहलोत ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। इधर राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री का नाम तय करने के लिए जयपुर गए अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे विधायक दल की बैठक कराए बगैर ही दिल्ली लौटे। अजय माकन और खड़गे ने सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें अपनी रिपोर्ट सौंपी। वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर हो सकते हैं। गहलोत द्वारा ऐसे संकेत दिए जाने के बाद पार्टी आलाकमान पूरे घटनाक्रम के लिए उन्हें दोषी मान रहा है।
सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद 10 जनपथ से बाहर आए अजय माकन ने कहा कि राजस्थान के पूरे घटनाक्रम को लेकर सोनिया गांधी को विस्तार से जानकारी दी गई। सोनिया गांधी ने लिखित में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। अजय माकन ने कहा कि हम सोनिया गांधी को लिखित रिपोर्ट आज रात से कल सुबह तक सौंप देंगे। ज्ञात हो कि गहलोत समर्थक करीब 90 विधायक कल शांति धारीवाल के आवास पर जुटे और आलाकमान को ही चुनौती दे डाली। इन विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया। सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मंशा के विरोध में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा तक दे दिया। केसी वेणुगोपाल ने अशोक गहलोत को फोन कर इसे लेकर बात की तो उन्होंने हाथ खड़े कर दिए।
अध्यक्ष पद की रेस से बाहर होंगे गहलोत
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी मांग पर अड़े हैं जिससे आलाकमान उनसे काफी नाराज बताया जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम के बीच अब ये माना जा रहा है कि अशोक गहलोत का कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से बाहर होना लगभग तय है। इसकी वजह, कांग्रेस हाईकमान का राजस्थान के मौजूदा घटनाक्रम से बेहद नाराज होना बताया जा रहा है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष के लिए नामांकन ही न करें।
कमलनाथ व रामेश्वर डूडी को बुलाया दिल्ली
कांग्रेस आलाकमान ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को भी फौरन दिल्ली पहुंचने के लिए कहा है। कमलनाथ की गिनती उन नेताओं में होती है जिन्हें अशोक गहलोत का करीबी माना जाता है। ऐसे में माना ये भी जा रहा है कि कमलनाथ को अशोक गहलोत से बात करने के लिए कह सकती हैं। राजस्थान विधानसभा के पूर्व स्पीकर रामेश्वर डूडी भी 10 जनपथ पहुंचे हैं। सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह सहित कई अन्य वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं से भी बात की।
दिल्ली के साथ जयपुर में भी हलचल तेज
एक तरफ दिल्ली के 10 जनपथ पर दिग्गजों का जमावड़ा हो रहा है तो वहीं जयपुर में भी सियासी हलचल तेज है। राजस्थान की राजधानी जयपुर में भी गहलोत समर्थक एक्टिव हैं। विधायक गोपाल मीणा, रफीक खान, रोहित वोहरा, चेतन डुडे ने भी शांति धारीवाल के आवास पहुंचकर उनसे मुलाकात की। शांति धालीवाल ने कहा है कि विधायक हमारे पास आ रहे हैं और इस्तीफा मंजूर करने का दबाव बना रहे हैं।
गहलोत समर्थकों की शर्त नहीं मानी गईं
दूसरी तरफ, इस्तीफा सौंपने वाले अशोक गहलोत खेमे के विधायकों ने कांग्रेस हाईकमान द्वारा भेजे गए पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन के सामने कुछ शर्ते रखते हुए मुलाकात से साफ मना कर दिया। हालांकि, कांग्रेस आलाकमान उन शर्तों पर सहमत नहीं है। इस पूरे वाकये से केंद्रीय नेतृत्व खासा नाराज है।
गांधी परिवार को ही आंखें दिखा रहे गहलोत : मंत्री गुढ़ा
दूसरी तरफ, राजस्थान सरकार में मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने विधायकों की बगावत पर सवाल खड़े किए। गुढ़ा बोले, ‘ये सब (गहलोत खेमा) गांधी परिवार की वजह से इस पोजिशन पर बने हैं और आज उन्हीं को आंखें दिखा रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, कांग्रेस का टिकट न हो तो ये सभी सरपंच का चुनाव भी नहीं जीत पाएंगे। राजेंद्र गुढ़ा ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल पर भी हमला बोला। गुढ़ा बोले, धारीवाल उम्र के आखिरी पड़ाव पर हैं, उन्होंने अच्छा नहीं किया।’
गहलोत गुट से आलाकमान खफा
गौरतलब है कि, कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में जहां एक ओर गहलोत खेमा लगातार अपनी ताकत दिखा रहा है, वहीं इस गुट के एमएलए पार्टी हाईकमान के प्रस्ताव भी मानने को तैयार नहीं हैं। इन्हीं हालातों को देखते हुए अब शीर्ष नेतृत्व की भृकुटि भी तन गई हैं। हाईकमान गहलोत गुट से नाराज है। आलाकमान के प्रस्ताव पर अलग बैठक बुलाने पर अजय माकन भी भड़के हुए हैं। माकन ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि प्रस्ताव पर शर्त अनुशासनहीनता है।
रिपीट नहीं होगी पंजाब वाली गलती : धरीवाल
कांग्रेस नेता शांति धारीवाल आलाकमान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री के पद से हटाने से राजस्थान में पंजाब जैसी स्थिति पैदा हो जाएगी। पहले की गई गलती से कांग्रेस, पंजाब गंवा ही चुकी है लेकिन राजस्थान में ऐसा नहीं होना चाहिए। हम संभल गए हैं, राजस्थान में पंजाब वाली गलती रिपीट नहीं होगी।
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