सुनवाई को अनुचित बताने वाली याचिका पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, कहा- हाईकोर्ट जाइए
नई दिल्ली। वाराणसी की कोर्ट में चल रहे ज्ञानवापी मामले की सुनवाई को अनुचित बताने वाली याचिकासुनने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि सुनवाई निचली अदालत में चल रही है। उसे लेकर जितनी भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में आई हैं, सबको निचली अदालत या हाईकोर्ट जाने को कहा गया है। इस मामले की भी सीधी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं होगी। अगर याचिकाकर्ता को निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर आपत्ति है, तो वह इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट जा सकता है।
वहीं ज्ञानवापी में मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर महिला वादी दो फाड़ हो गईं हैं। एक पक्ष का कहना है कि कार्बन डेटिंग कराना शिवलिंग की प्रमाणिकता पर संदेह व्यक्त करना है वहीं दूसरा पक्ष कार्बन डेटिंग कराने का पक्षधर है। कार्बन डेटिंग पर 29 सितंबर को सुनवाई है।
गौरतलब है कि वकील एमएम कश्यप ने याचिका दाखिल कर कहा कि 1993, 1995 और 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने काशी और मथुरा पर 3 आदेश दिए थे। इन आदेशों में दोनों जगहों पर मौजूद वर्तमान मंदिर और मस्जिद की यथास्थिति बनाए रखने के लिए कहा गया था। वकील ने इसे आधार बनाते हुए वाराणसी के जिला जज की कोर्ट में चल रही सुनवाई को निरस्त करने की मांग की थी।
कार्बन डेटिंग यानि शिवलिंग पर प्रश्न चिन्ह : राखी सिंह
इधर वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर महिला वादियों में आपस में विवाद छिड़ गया है। पांच महिला वादियों में एक राखी सिंह ने कहा कि अगर कार्बन डेटिंग कराई जाती है तो इसका मतलब है कि हम आदि विश्वेश्वर के शिवलिंग पर ही प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहे हैं, इसलिए किसी कीमत पर कार्बन डेटिंग नहीं होने दिया जाएगा, इसका विरोध किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर चार अन्य महिला वादियों की ओर से कार्बन डेटिंग की मांग की गई है। इसकी पैरवी विष्णु जैन कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि इस मामले की भी सीधी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में नहीं होगी। अगर याचिकाकर्ता को निचली अदालत में चल रही सुनवाई पर आपत्ति है, तो वह इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट जा सकता है। बेंच ने कहा कि इस मामले को लेकर जितनी भी याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में आई हैं, सबको निचली अदालत या हाईकोर्ट जाने को कहा गया है। इस टिप्पणी के साथ जजों ने मामला सुनने से मना कर दिया।
क्या है कार्बन डेटिंग, जो बताती है सच्चाई
गौरतलब है कि कार्बन डेटिंग से लकड़ी, चारकोल, पुरातात्विक खोज, हड्डी, चमड़े, बाल और खून के अवशेष की उम्र पता चल सकती है कार्बन डेटिंग से लेकिन एक अनुमानित उम्र ही। सटीक उम्र का पता लगाना मुश्किल होता है। पत्थर और धातु की डेटिंग नहीं की जा सकती, लेकिन बर्तनों की डेटिंग हो सकती है। अगर पत्थर में किसी प्रकार का कार्बनिक पदार्थ मिलता है तो उससे एक अनुमानित उम्र का पता किया जा सकता है।
हेट स्पीच पर मूकदर्शक क्यों बनी है सरकार
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में ‘विजुअल मीडिया’ यानी टीवी को ‘हेट स्पीच का मुख्य माध्यम’ बताया और सरकार से सवाल पूछा कि ‘जब यह सब चल रहा है तो वह मूकदर्शक क्यों बनी हुई है’ और इसे ‘बेहद छोटा मसला’ क्यों समझ रही है? बता दें कि जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की बेंच कुछ टीवी शो के माध्यम से हेट स्पीच देने को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा कि जब तक हेट स्पीच के खिलाफ कोई कानून नहीं लाया जाता, वह विशाखा (कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न) की तर्ज पर दिशा-निर्देश देने पर विचार कर सकती है। अदालत ने केंद्र सरकार से दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है और तब तक जुटाई गई हर जानकारी देने के लिए कहा है।
इसके साथ ही यह भी कहा कि वह इस संबंध में भारतीय विधि आयोग द्वारा की गई सिफारिशों पर अपना रुख स्पष्ट करे। इसके अलावा यह भी पूछा कि क्या इन सिफारिशों के संदर्भ में केंद्र सरकार किसी भी तरह का कानून लाने पर विचार कर रही है?
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