हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- टीवी एंकर पर अहम जिम्मेदारी, केंद्र सरकार चुप क्यों?

हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने मीडिया पर भी सवाल उठाए हैं। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सबसे ज्यादा हेट स्पीच मीडिया और सोशल मीडिया पर है। हमारा देश किधर जा रहा है? टीवी एंकरों पर एक बड़ी जिम्मेदारी होती है। कई बार तो टीवी शो के दौरान एंकर गेस्ट को समय तक नहीं देते। ऐसे माहौल में केंद्र सरकार चुप क्यों है? इसके लिए एक सख्त नियामक तंत्र बनाए जाने और उसे लागू करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केंद्र सरकार से दो सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 23 नवंबर को होगी।

शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह इसे साधारण मुद्दे के रूप में क्यों ले रही है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि हेट स्पीच हमारे देश के ताने-बाने में जहर घोल रही है, इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। राजनीतिक दल आएंगे और जाएंगे लेकिन देश और स्वतंत्र प्रेस की संस्था कायम रहेगी। हमें सच्ची स्वतंत्रता होनी चाहिए और सरकार को अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए आगे आना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आजकल एंकर अपने मेहमानों को बोलने की अनुमति नहीं देते हैं। उन्हें म्यूट कर देते हैं और अभद्र भी हो जाते हैं। पीठ ने कहा कि यह सब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हो रहा है। यह दुख की बात है कि अगर कोई उन्हें जवाबदेह नहीं बना रहा है। पीठ ने कहा कि फ्री स्पीच में दर्शकों का अधिकार भी शामिल है।

पीठ ने कहा कि जब तक संस्थागत व्यवस्था नहीं हो जाती, लोग ऐसे ही चलते रहेंगे। हमारे पास उचित कानूनी ढांचा होना चाहिए। नफरत फैलाने वाले बयान और अफवाह फैलाने वाले को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाने के लिए भाजपा नेता व वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय व अन्य जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने टेलीविजन चैनलों सहित मीडिया की भूमिका पर विचार किया।

शीर्ष अदालत ने विशाखा और तहसीन पूनावाला मामलों में सुप्रीम कोर्ट के पिछले फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि केंद्र की प्रतिक्रिया पर विचार करने के बाद टीवी चैनलों के लिए कुछ दिशानिर्देश तैयार किए जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि केंद्र सरकार को मामले को विरोध के रूप में नहीं लेना चाहिए और इसे कुछ कानून लाने के अवसर के रूप में लेना चाहिए।

केन्द्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज व वकील संजय कुमार त्यागी और वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े और अन्य को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र से दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने केंद्र से यह सवाल भी पूछा कि क्या वह विधि आयोग की रिपोर्ट के संदर्भ में हेट स्पीच को नियंत्रित करने के लिए किसी कानून पर विचार कर रहा है।

केंद्र ने अपनी ओर से कहा कि शीर्ष अदालत के 21 जुलाई के आदेश के बाद उसे इस मुद्दे पर केवल 14 राज्यों से जवाब मिला है। मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अदालत ने कहा कि अगर वह स्वतंत्र है तो किसी से आदेश नहीं लेना है। अदालत ने कहा कि आपको (मीडिया) संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देना चाहिए, हर कोई इस गणतंत्र का हिस्सा है। हर कोई इस एक राष्ट्र का है।


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