हाईकोर्ट में नई परंपरा, हिंदी दिवस पर जस्टिस दुबे ने हिंदी में जारी किया आदेश

  • जारी किए गए फैसले के प्रमुख अंश को भी हिंदी में लिखा गया
  • आरोपियों की दोषमुक्ति के खिलाफ शासन की अपील खारिज

बिलासपुर। 14 सितंबर हिंदी दिवस पर हाईकोर्ट की जस्टिस रजनी दुबे ने एक प्रकरण में हिंदी में ही अपना आदेश जारी कर एक नई परम्परा शुरू की है। जस्टिस दुबे ने पूरा आदेश हिंदी के साथ ही अंग्रेजी में भी जारी किया है। इसके साथ ही फैसले के प्रमुख अंश को हिंदी में ही जारी किया गया है। इसके पीछे कोर्ट द्वारा दिए जाने वाले फैसले की मुख्य बिंदु को पढ़कर याचिकाकर्ता या प्रमुख पक्षकार को इस बात की जानकारी मिलना बताया जा रहा है। बुधवार को हाईकोर्ट की जस्टिस दुबे ने एक अपराधिक मामले में आरोपियों की दोषमुक्ति के खिलाफ शासन की अपील खारिज कर दी। इस मामले में हाईकोर्ट ने 26 जुलाई को निर्णय सुरक्षित रखा था।

प्रकरण के अनुसार गुलाब सिंह वर्मा, सफदर अली रायपुर और अविनाश चन्द्र के मामले में सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश बिलासपुर ने 10 अप्रैल 2022 को निर्णय पारित कर सभी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के आरोप से दोषमुक्त किया गया था। इसके ही खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट में अपील की थी। मामले में हुई सुनवाई के बाद जस्टिस रजनी दुबे ने कहा कि विद्वान विचारण न्यायलय द्वारा सूक्ष्मतापूर्वक मौखिक एवं दस्तावेजी साक्ष्य की विवेचना करते हुए जो निर्णय पारित किया गया है वह प्रकरण में आए साक्ष्य के आधार पर विधि एवं तथ्य के अनुरूप है। इसके साथ ही शासन की अपील निरस्त कर दी गई।

यह था मामला

पूरे मामले में गुलाब सिंह वर्मा, सफदर अली रायपुर और अविनाश चन्द्र के खिलाफ धारा 409,467,468,471 और 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज किया गया था। दरअसल सफदर अली स्टोर कीपर, एसी सोढ़ी एसडीओ और गुलाब सिंह वर्मा उपयंत्री के तौर पर पद जल संसाधन विभाग में पदस्थ थे। इन पर कार्य के दौरान गड़बड़ी के आरोप लगे थे। जलाशय निर्माण में राशि में भ्रष्टाचार किया गया। सीमेंट की बोरी के साथ निर्माण सामग्री की सप्लाई नहीं हुई और काम समय पर नहीं पूरा किया गया। शासन द्वारा दर्ज कराए गए मामले को जिला कोर्ट में आरोपियों ने चुनौती दी गई। कोर्ट मे आरोपियों को बरी कर दिया था। इसी के खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट में अपील की थी। बुधवार को यह अपील खारिज करते हुए हिंदी में आदेश जारी किया गया है।

अब लगातार हिंदी में फैसलों की मिल रही कापी

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जस्टिस द्वारा आर्डर तो हिंदी में पहली बार किया गया है लेकिन फैसलों की कापी हिंदी में पहले से मिल रही है। हाईकोर्ट ने इससे पहले दो मामलों की सुनवाई के दौरान पाया था कि अंग्रेजी में मिले कोर्ट के फैसले के कारण असमंजस की स्थिति बन रही है। इसे देखते हुए याचिकाकर्ता या पक्षकार की मांग पर आदेश की कापी हिंदी में दी जा रही है। इसके लिए एक अनुवादक की भी नियुक्ति की गई है। याचिकाकर्ता या पक्षकार को इसके लिए 10 रुपया प्रति कापी शुल्क देना पड़ता है। दरअसल मामले की सुनवाई के बाद आमतौर पर हाईकोर्ट में फैसले अंग्रेजी में ही जारी किए जाते हैं। अंग्रेजी में फैसला जारी होने के चलते अधिकांश लोग समझ नहीं पाते हैं। याचिकाकर्ता व पक्षकार भी पूरी तरह अपने अधिवक्ताओं पर निर्भर रहते हैं।


याचिका दायर करने के साथ पैरवी की भी सुविधा

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में हिंदी में याचिका दायर करने के साथ ही उन याचिकाकर्ता को जो अपनी याचिका पर हाई कोर्ट के समक्ष उपस्थित होकर बहस करना चाहते हैं उन्हें हिंदी में बहस करने की सुविधा भी दी जा रही है। इसके पीछे कोर्ट का उद्देश्य याचिकाकर्ता को अपनी बात स्पष्ट रूप से कहने की आजादी देना है। साथ ही हिंदी को बढ़ावा देने की कोशिश भी हाईकोर्ट के जरिए जारी है।

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