नहीं रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, नौ साल की उम्र में शुरू की थी ‘धर्मयात्रा’

2 सितंबर 1924

11 सितंबर 2022

ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य ने मप्र में ली अंतिम सांस

नरसिंहपुर। द्वारका पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले में निधन हो गया। वह 99 वर्ष के थे। महज 9 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ धर्म की यात्रा शुरू कर दी थी। इस दौरान वो उत्तरप्रदेश के काशी भी पहुंचे और यहां उन्होंने ब्रह्मलीन श्री स्वामी करपात्री महाराज वेद-वेदांग, शास्त्रों की शिक्षा ली। साल 1942 के इस दौर में वो महज 19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु के रुप में प्रसिद्ध हुए थे, क्योंकि उस समय देश में अंग्रेजों से आजादी की लड़ाई चल रही थी। शंकराचार्य के शिष्य ने बताया कि वह द्वारका, शारदा एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य थे। पिछले एक साल से अधिक समय से बीमार चल रहे थे। शिष्य दण्डी स्वामी सदानंद ने कहा, स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने तपोस्थली परमहंसी गंगा आश्रम झोतेश्वर में दोपहर 3.30 बजे अंतिम सांस ली। उन्होंने कहा कि ज्योतिष एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म 2 सितम्बर 1924 को मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के दिघोरी गांव में हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन से दुख हुआ, उनके अनुयायियों के प्रति मेरी संवेदनाएं। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सनातन संस्कृति व धर्म के प्रचार-प्रसार को समर्पित उनके कार्य सदैव याद किए जाएंगे। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया- शारदापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सनातन धर्म के शलाका पुरुष एवं सन्यास परम्परा के सूर्य थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन को संत समाज की अपूरणीय क्षति बताया है। प्रियंका गांधी ने कहा- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्म, अध्यात्म व परमार्थ के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।

बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के बचपन का नाम पोथीराम उपाध्याय था। उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल में रखा गया था। शंकराचार्य के अनुयायियों ने कहा कि वह 1981 में शंकराचार्य बने और हाल ही में शंकराचार्य का 99वां जन्मदिन मनाया गया।

आजादी की लड़ाई लड़ी, जेल में बिताए 15 महीने

अपनी धर्मयात्रा जारी रखने के साथ स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने आजादी की लड़ाई भी लड़ी। अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में शामिल होने के कारण उन्हें वाराणसी में 9 महीने और मध्यप्रदेश की जेल में 6 महीने बिताने पड़े थे। इस दौरान उन्हें करपात्री महाराज के राजनीतिक दल राम राज्य परिषद का अध्यक्ष भी घोषित किया गया।

ऐसे कहलाए स्वामी स्वरूपानंंद सरस्वती

1950 में स्वामी स्वरूपानंद दंडी संन्यासी बने और 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। 1950 में क्रांतिकारी साधु नाम से फेमस को चुके स्वामी को ज्योतिषपीठ के ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती ने दंड-संन्यास की दीक्षा दी। इस दीक्षा के बाद उन्हें स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती के नाम से जाना गया। इस तरह वो हिन्दुओं के सबसे बड़े धर्म गुरु बन गए।

कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने का विरोध

30 जून, 2014 को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि जम्मू कश्मीर से इसे हटाया जाना चाहिए। उनका कहना था कि आर्टिकल 370 हटना घाटी के लोगों के लिए लाभकारी होगा। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी हिंदुओं के लौटने से राज्य की देश विरोधी ताकतें कमजोर हो जाएंगी।

यह भी जानिए

9 साल की उम्र में छोड़ दिया अपना घर

19 साल की उम्र में क्रांतिकारी साधु कहलाए

15 महीने आजादी आंदोलन के लिए जेल गए

1950 में स्वामी स्वरूपानंद दंडी संन्यासी बने

1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली

आज दी जाएगी समाधि

शंकराचार्य के शिष्य ब्रह्म विद्यानंद ने बताया- स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को सोमवार को शाम 5 बजे परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी। शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे।

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कामरा ने विहिप को दी चुनौती

मुंबई। दक्षिणपंथी संगठनों की धमकियों के बाद गुरुग्राम में कार्यक्रम रद्द होने के कुछ दिन बाद ‘स्टैंड-अप कॉमेडियन’ कुणाल कामरा ने रविवार को विश्व हिंदू परिषद को एक खुला पत्र लिखकर चुनौती दी कि वह महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की निंदा करे। अतीत में कई मुद्दों पर भाजपा नीत केंद्र सरकार की आलोचना करने वाले हास्य कलाकार कामरा ने खुद को विहिप से ‘बड़ा हिंदू’ घोषित करते हुए कहा कि वह डरा-धमकाकर अपनी आजीविका नहीं कमाते हैं। कामरा ने विहिप के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर टैग पत्र में लिखा, मैं जोर से और गर्व से जय श्री सीता-राम और जय राधा कृष्ण कहता हूं। अब अगर तुम सच में भारत की संतान हो, तो गोडसे मुर्दाबाद लिखकर भेजो। नहीं तो मैं समझूंगा कि तुम लोग हिंदू विरोधी और आतंक समर्थक हो। उन्होंने पत्र में लिखा, मुझे मत बताओ कि तुम गोडसे को भगवान मानते हो? अगर मानते हो तो आगे भी मेरे शो रद्द करवाते रहना। मुझे सिर्फ इस बात की खुशी रहेगी कि मैं तुम्हारे से ज्यादा हिंदू होने की परीक्षा में तुमसे जीत गया। कामरा ने कहा, मैं जो कुछ भी करूंगा, अपनी मेहनत की ही रोटी खाऊंगा क्योंकि मुझे तुमसे बड़ा हिंदू होने के नाते लगता है कि किसी को डरा-धमका कर टुकड़े खाना पाप है। अपने पत्र में, कामरा ने दक्षिणपंथी संगठनों से इस बाबत सबूत पेश करने की भी मांग की कि वह अपने कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाते हैं।

विहिप ने किया था कामरा के शो का विरोध

कामरा को गुरुग्राम के सेक्टर-29 में स्थित स्टूडियो एक्सओ बार में 17 और 18 सितंबर को शो करना था। विहिप और बजरंग दल ने शो रद्द करने की मांग करते हुए शुक्रवार को तहसीलदार के जरिये उपायुक्त निशांत कुमार यादव को एक ज्ञापन सौंपा। हिन्दू दक्षिणपंथी संगठनों के सदस्यों ने कहा कि यदि शो रद्द नहीं किया गया, तो वे इसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे।

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