केंद्र सरकार के सभी विभागों में मिलेगा ‘रिस्क अलाउंस’

  • वेतन का हिस्सा नहीं होगा रिस्क अलाउंस

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के सभी विभागों में कर्मचारियों को रिस्क अलाउंस यानी जोखिम भत्ता मिलेगा। हालांकि इसके लिए कर्मियों को एक शर्त पूरी करनी होगी। डीओपीटी द्वारा दो सितंबर को जारी पत्र में कहा गया है कि अगर किसी विभाग में तय जोखिम नियमावली या उससे बाहर कोई जोखिम है, तो उस स्थिति में कर्मियों को रिस्क अलाउंस दिया जाएगा। रिस्क अलाउंस, वेतन का हिस्सा नहीं होगा। अगर किसी विभाग में जोखिम की कोई नई श्रेणी दिखती है, तो उसके लिए डीओपीटी व वित्त विभाग से चर्चा की जाए। इस बारे में स्टाफ साइड की विभागीय परिषद ‘जेसीएम’ से भी सलाह की जाएगी। संबंधित मंत्रालय एवं विभाग की जिम्मेदारी है कि वह समय-समय पर अपने कर्मियों के स्वास्थ्य की जांच कराते रहें। यदि एक ही तरह के कार्य का जोखिम, किसी दूसरे मंत्रालय में भी है तो वहां उसी तर्ज पर रिस्क अलाउंस व अन्य सहायता प्रदान की जाएगी। निर्धारित शर्तें पूरी करने वाले सरकारी कर्मियों के जोखिम भत्ते की राशि में दो साल पहले, 90 रुपये प्रति महीना से लेकर 900 रुपये तक का इजाफा किया गया था। अस्सी के दशक में यह भत्ता 20 रुपये से लेकर अधिकतम 200 रुपये तक होता था। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत जोखिम भत्ते में वृद्धि की गई।

अकुशल वर्कर को 90 रुपए

नवंबर 2020 में अकुशल वर्कर को 90 रुपये, बतौर मासिक जोखिम भत्ता देने का निर्णय लिया गया। अर्धकुशल वर्कर को 135 रुपये, कुशल कर्मचारी को 180 रुपये, सुपरवाइजर को 225 रुपये, अराजपत्रित अधिकारी, जो डायनामाइट या नाइट्रो ग्लिसरीन तैयार करने जैसी ड्यूटी कर रहे हों, उन्हें 405 रुपये बतौर रिस्क अलाउंस मिलते हैं। राजपत्रित अधिकारी, जो डायनामाइट या नाइट्रो ग्लिसरीन तैयार करने जैसे जोखिम वाले काम में लगा है, उसे 675 रुपये मिलेंगे। इनके अलावा खतरनाक भवनों में काम करने वाले वाले अधिकारियों को 900 रुपये मासिक जोखिम भत्ता मिलता है।


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