जल-थल-नभ में बढ़ी भारत की ताकत, आइएनएस विक्रांत मिला नौसेना को

कोच्चि। भारत ने थल और नभ के साथ ही अब जल में भी दुश्मनों को तबाह करने का यह सबसे खतरनाक युद्धपोत मैदान में उतार दिया है। दुनिया के सबसे खतरनाक माने जाने वाले युद्धपोतों में शामिल पूर्ण स्वदेशी आइएनएस विक्रांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय नौसेना को समर्पित किया। इस युद्धपोत के साथ ही इससे परंपरागत दुश्मन कहे जाने वाले पाकिस्तान और चीन में खलबली मच गई है। वहीं अमेरिका जैसे ताकतवर देश भी अब भारत की बढ़ती सामरिक ताकत को देखकर अचंभित हैं। भारत के इस महा विध्वंशकारी आइएनस विक्रांत का दूसरा नाम इंडीजीनियस एअरक्राफ्ट कैरियर (आइएसी) भी है।

भारत की हुंकार है विक्रांत : मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है. विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है बल्कि ये विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है जिसे दुनिया देख रही है। मोदी ने कहा ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।

‘नौसेना को मिला नया ध्वज’

नौसेना के नए ध्वज को सौंपते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।

तैरता हुआ एयरफ़ील्ड

यह युद्धपोत से ज़्यादा तैरता हुआ एयरफ़ील्ड है, यह तैरता हुआ शहर है। इसमें जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फ़ील्ड से बड़ा है। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं।

क्यों दिया गया आइएनएस विक्रांत नाम

यह दुनिया का सबसे बड़ा व खतरनाक सातवां विमानवाहक पोत है। भारत के पहले विमानवाहक पोत का नाम भी आइएनएस विक्रांत-11 था। उसी की याद में इसे आइएनएस विक्रांत नाम दिया गया है।

ये है खासियत

20 हजार करोड़ की लागत

262.5 मीटर लंबा और 62.5 मीटर चौड़ा

42 हजार 800 टन डिस्प्लेसमेंट एरिया

18 फ्लोर में 2400 कक्ष

1600 क्रू मेंबर्स की व्यवस्था

18 मिग 29के कई विमान की तैनाती

12 एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर तैनात

2.5 एकड़ में फैला

16 बेड का मिनी हॉस्पिटल, ऑपरेशन थिएटर

64 स्लाइस सीटी स्कैन मशीन व डिजिटल एक्सरे

16 हजार रोटियां एक दिन में

4800 लोगों की क्षमता वाला किचन

3900 किलोमीटर तक रैंज

बराक मिसाइलों की तैनाती जल्द

बता दें कि विक्रांत के डेक से काफी संख्या में लड़ाकू विमान एक साथ टेकऑफ और लैंडिंग कर सकते हैं। आइएनएस पर सतह से हवा में मार करने वाली बराक मिसाइलें भी जल्द तैनात की जाएंगी। इससे पहले भारत के पास एक अन्य विमानवाहक पोत आएनएस विक्रमादित्य भी है। इसमें इमरजेंसी व गैस टर्बाइन सिस्टम भी है। इसमें आरएएन-401 थ्री डी एअर सर्विलांस सिस्टम है। सेल्फ प्रोटेक्शन के लिए कवच कॉफ डिकॉय सिस्टम और टॉरपीडो डिकॉय सिस्टम है। इसमें एके-360 क्लोज वीपन सिस्टम और रिमोट कंट्रोल गन सुविधाएं हैं। बिना ईंधन भरे यह कोच्चि से ब्राजील तक की यात्रा कर सकता है।

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समंदर पर तैरता किला… दो फुटबाल मैदान जितना विशाल फ्लाइंग डेक

-262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा है आईएनएस विक्रांत

-इसमें कैंटीन, मॉडर्न किचन, मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल सबकुछ

  • एक बार ईंधन भरने पर यह 45 दिन तक रह सकता है समुद्र में
  • मिग-29 लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टरों सहित 30 विमानों से युक्त एयर विंग को संचालित करने में सक्षम

नई दिल्ली। नौसेना को पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत मिल गया है। ‘यह विशालकाय युद्धपोत समदर में तैरता हुआ शहर है। जी हां, आपको सुनकर हैरानी होगी, लेकिन यह हकीकत है। 262 मीटर लंबे, 62 मीटर चौड़े और 59 मीटर ऊंचे इस जहाज में ऊंची इमारतों जैसे दर्जन भर डेक हैं। इसका फ्लाइंग डेक दो फुटबाल मैदान जितना बड़ा है। इसमें मल्टीस्पेशियलिटी अस्पताल, किचन, पूल सब-कुछ है। आइए जानते हैं इसकी खासियत…

आईएनएस विक्रांत में जितनी बिजली पैदा होती है उससे 5,000 घरों को रौशन किया जा सकता है। इसका फ्लाइंग डेक भी दो फुटबॉल फील्ड से बड़ा है। 14 डेक जो 10 मंजिला इमारत के जैसा दिखते हैं। इसमें जितने तार इस्तेमाल हुए हैं वह कोचीन से काशी तक पहुंच सकते हैं।’ इसमें कैंटीन के साथ मॉडर्न किचन है, जिसमें 1 घंटे में 1600 लोगों का खाना बन सकता है। जहाज में अल्‍ट्रा-मॉडर्न मेडिकल फैसिलिटीज के साथ पूरा मेडिकल कैंपस है। जिसमें प्रमुख मॉड्यूलर ओटी (ऑपरेशन थिएटर) सहित तमाम सुविधाएं आदि शामिल हैं।

ऐसे मिला नाम

रक्षा मंत्रालय ने एक ट्वीट में कहा, ‘स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत, का नाम 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भारत के पहले एयरक्राफ्ट कैरियर के नाम पर रखा गया है।’

ऋग्वेद से लिया गया ध्येय वाक्य

विक्रांत का अर्थ होता है योद्धा, विक्रांत का अर्थ है साहसी। जो शूर वीर है, वह विक्रांत है। जो विजेताओं पर भी विजय पा ले, वह विक्रांत है। विक्रांत का आदर्श वाक्य भी बहुत सोच-समझकर चुना गया है। विक्रांत का आदर्श वाक्य है: जयेम सं युधि स्पृधः (हम युद्ध में शत्रुओं पर पूर्ण विजय पाएं) इसे ऋग्वेद (1.8.3) से लिया गया है।

भारत के बुलंद हौसलों की हुंकार : पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में आईएनएस विक्रांत (आईएनएस) को इसे देशसेवा में समर्पित किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ‘केरल के समुद्री तट पर पूरा भारत एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है। आईएनएस विक्रांत पर हो रहा यह आयोजन, विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।’ यह बस पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर ही नहीं, समंदर पर तैरता किला है।आईएनएस विक्रांत का डिजाइन और निर्माण, सबकुछ भारत में ही किया गया है।

फौजियों को समर्पित : राजनाथ

इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि 1971 के युद्ध में अपनी शानदार भूमिका निभाने वाले विक्रांत का यह नया अवतार, ‘अमृत-काल’ की उपलब्धि के साथ-साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और बहादुर फौजियों को भी एक विनम्र श्रद्धांजलि है।’

‘मोदी सरकार का आईएनएस विक्रांत से कोई लेना-देना नहीं’

कांग्रेस ने आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित करने के लिए क्रेडिट लेने पर पीएम मोदी पर हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया कि उन्होंने पहले की यूपीए सरकार के योगदानों को उचित स्थान न देकर पाखंड किया है। ‘मोदी सरकार का आईएनएस विक्रांत से कोई लेना-देना नहीं है’ कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अगस्त 2013 में आईएनएस विक्रांत का उद्घाटन करते पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी का एक वीडियो साझा किया और कहा कि चूंकि मोदी सरकार सत्ता में है, इसलिए वह इस विमानवाहक पोत को राष्ट्र को समर्पित कर रही है। रमेश ने कहा, ‘मोदी सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। सच्चाई यह है कि कई साल पहले रक्षा मंत्री रहते हुए ए के एंटनी ने आईएनएस विक्रांत को लांच किया था।

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